दिल्ली में रामराय जी ने अफवाह उड़ा रखी थी कि श्री गुरु हरिकिशन अभी नन्हें बालक ही तो हैं, उससे गुरु गद्दी का कार्यभार नहीं सम्भाला जायेगा। Read more about श्री गुरू हरिकिशन जी को सम्राट द्वारा निमन्त्रण (Shri Guru Harkishan Sahib Ji) …
दिल्ली में रामराय जी ने अफवाह उड़ा रखी थी कि श्री गुरु हरिकिशन अभी नन्हें बालक ही तो हैं, उससे गुरु गद्दी का कार्यभार नहीं सम्भाला जायेगा। Read more about श्री गुरू हरिकिशन जी को सम्राट द्वारा निमन्त्रण (Shri Guru Harkishan Sahib Ji) …
कीरतपुर से दिल्ली पौने दौ सौ मील दूर स्थित है। गुरुदेव के साथ भारी संख्या में संगत भी चल पड़ी। Read more about एक ब्राह्मण की शंका का समाधान (Shri Guru Harkishan Sahib Ji) …
श्री गुरू हरिकिशन जी की सवारी जब दिल्ली पहुँची तो राजा जय सिंह ने स्वयं उनकी आगवानी की और उन्हें अपने बंगले में ठहराया। Read more about श्री गुरू हरकिशन जी दिल्ली पधारे (Shri Guru Harkishan Sahib Ji) …
श्री गुरु हरिकिशन जी के दिल्ली आगमन के दिनों में वहाँ हैजा रोग फैलता जा रहा था, नगर में मृत्यु का ताण्डव नृत्य हो रहा था, Read more about दिल्ली में महामारी का आतंक (Shri Guru Harkishan Sahib Ji) …
श्री गुरु हरिकिशन जी ने अनेकों रोगियों को रोग से मुक्त दिलवाई। आप बहुत ही कोमल व उद्वार हृदय के स्वामी थे। Read more about देहावसान (Shri Guru Harkishan Sahib Ji) …
श्री गुरू हरिगोविन्द साहब जी को कीरतपुर से संदेश मिला कि आपके यहाँ पौत्रा ने जन्म लिया है। वह करतारपुर से कीरतपुर पहुंचे। Read more about श्री गुरु हर राय जी की जीवनी …
श्री गुरू हरगोविन्द जी का प्रकाश श्री गुरू अर्जुन देव जी के गृह माता गंगा जी के उदर से संवत १६५२ की २१ आषाढ़ शुक्ल पक्ष में तदानुसार १४ जून सन् १५६५ ईस्वी को जिला अमृतसर के बढ़ाली गांव में हुआ। Read more about श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी की जीवनी (Shri Guru Hargobind Ji) …
श्री गुरू हरिगोविन्द जी के बढ़ते हुए तेज-प्रताप की चर्चा जब उनके चचेरे भाई पृथ्वीचन्द के बेटे मेहरबान तक पहुंची तो वह पुनः ईर्ष्या की आग में जलने लगा। Read more about चन्दूशाह की चिन्ता (Shri Guru Hargobind Ji) …
श्री गुरू हरिगोविन्द जी अपने स्वभाव अनुसार निकट के वनों में अपने जवानों के साथ शिकार खेलने चले जाते। Read more about शेर का शिकार (Shri Guru Hargobind Ji) …
जब दिल्ली की संगत को यह ज्ञात हुआ कि श्री गुरू हरिगोविन्द जी ने एक विशालकाय शेर को उसकी मांद में से निकालकर सदा की नींद सुला दिया है तो वे गुरूदेव के दर्शन को उमड़ पड़े। Read more about एक श्रमिक घासिएं का वृत्तन्त (Shri Guru Hargobind Ji) …