सद्-बुद्धि एवं विद्या प्राप्ति हेतु श्री गणेश स्तुति - Sad Buddhi Evan Vidya Praapti Hetu Shri Ganesh Stuti

सद्-बुद्धि एवं विद्या प्राप्ति हेतु श्री गणेश स्तुति – Sad Buddhi Evan Vidya Praapti Hetu Shri Ganesh Stuti

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश पाहि माम् | जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश रक्ष माम् || जय सरस्वती, जय अम्बे, जग जननी जय जगदीश्वरी, माता सरस्वती मोह – विनाशिन जय अम्बे, जय अम्बे, जय-जय जग जननी, जय-जय अम्बे | जय जगदीश्वरी माता सरस्वती मोह-विनाशिनी जय अम्बे || जय दुर्गे, जय दुर्गे, जय-जय दुर्गति नाशिनी, जय दुर्गे | आदिशक्ति पर-ब्रह्म-स्वरुपिणी भव-भय-नाशिनी जय दुर्गे || अम्बा की जय-जय, दुर्गा की जय-जय जपु माता की जय-जय || जपु जगद्- अम्बा ग्रही कर माला, बसो ह्रदय में बहु-चार बाला | काली-काली महाकाली, भद्रकाली नामोहतुते | देवि , देवि, महा-देवि, विष्णु र्देवि ! नमो नम: ||

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गुरु नानक जयंती - Guru Nanak Gurpurab

गुरु नानक जयंती – Guru Nanak Jayanti

श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाश पहली बैसाख शुक्ल पक्ष (पूर्णिमा) दिन सोमवार संवत 1526 बिक्रमी (15 अप्रैल सन् 1469) अर्द्ध रात्री (7 वें पहर के मध्य में) तलवण्डी (राय भोए की) नामक कस्बे में श्री कल्याण चंद (पिता मेहता कालू) (क्षत्रीय) के गृह में माता तृप्ता की कोख से हुआ| जिन की उप-जाति बेदी थी| श्री गुरु नानक देव जी की बड़ी बहन का जन्म सन् 1464 ई. में हुआ था| उन का नाम नानकी था| Read more about गुरु नानक जयंती – Guru Nanak Jayanti

सुख-सम्पति वृद्धिकारक श्री गोरख-गायत्री मंत्र - Sukh Sampati Vrriddhikaraka Shri Gorakh Gayatri Mantra

सुख-सम्पति वृद्धिकारक श्री गोरख-गायत्री मंत्र – Sukh Sampati Vrriddhikaraka Shri Gorakh Gayatri Mantra

ॐ गुरूजी, सत् नम: आदेश, गुरु जी को आदेश
ॐ कारे शिव-रूपी, मध्याह्ने हंस-रूपी, सन्ध्याया साधु-रूपी |
हंस, परम हंस दो अक्षर | गुरु तो गोरक्ष, काया तो गायत्री |
ओम ब्रह्म, सोउहं शक्ति, शुन्यमाता, अवगत पिता, विहंगम जात, अभय-पन्थ, सूक्ष्म-वेद, असंख्य शाखा, अनन्तप्रवर, निरंजन गोत्र, त्रिकुटी क्षेत्र, जुगति जोग, जल स्वरुप, रूद्र-वर्ण | सर्व-देव: ध्यायते | आए श्री शम्भु-जति गुरु गोरखनाथ | ओम सोउहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोरक्ष: प्रचोदयात् | ॐ इतना गोरख-गोयत्री-जाप सम्पुर्ण भया | गंगा गोदावरी त्र्यम्बक क्षेत्र कोलांचल अनुधान-शिला पर सिद्धासन बैठ | नव-नाथ चौरासी – सिद्ध, अनन्त-कोटि-सिद्ध-मध्ये श्री शम्भु-जति गुरु गोरखनाथ जी कथ पढ़ जप के सुनाया | सिद्धो गुरुवए, आदेश-आदेश ||

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हाथी का बदला - The Revenge Of The Elephant

हाथी का बदला – The Revenge Of The Elephant

बहुत समय पहले किसी नगर में एक बहुत बड़ा हाथी रहता था। हाथी बेहद धार्मिक व आस्थावान था और रोज मंदिर के सामने जाकर पूजा भी किया करता था। भारी-भरकम शरीर होने के बावजूद उसके दिल में प्यार भरा हुआ था। Read more about हाथी का बदला – The Revenge Of The Elephant

क्लेश नाशक श्री गणेश मंत्र - Kalesh Naashak Shri Ganesh Mantra

क्लेश नाशक श्री गणेश मंत्र – Kalesh Naashak Shri Ganesh Mantra

ॐ ग्लौं गौरी-पुत्र, वक्रतुण्ड गणपति गुरु गणेश | ग्लौं गणपति, श्रिद्धि – पति, सिद्धि- पति, | मेरे कर दूर क्लेश ||

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चूहा और संन्यासी - The Hermit and the Mouse

चूहा और संन्यासी – The Hermit and the Mouse

किसी जंगल में एक संन्यासी तपस्या करता था। जंगल के जानवर उस संन्यासी के पास उपदेश सुनने आया करते थे। वह सब आकर संन्यासी को चारों ओर से घेर लेते और वह जानवरों को अच्छा जीवन बिताने का उपदेश देता। Read more about चूहा और संन्यासी – The Hermit and the Mouse

बिच्छू विष स्तम्भन मंत्र - Scorpion Sting Mantra

बिच्छू विष स्तम्भन मंत्र – Scorpion Sting Mantra

ॐ नमो समुद्र समुद्र में कमल | कमल में विषहर | बिच्छू
कहूँ तेरी जात | गरुड़ कहे मेरी अठारह जात, छ: काला,
छ: कावरा, छ: कूँ कूँ बान | उतर रे उतर, नहीं तो गरुड़
पंख हंकारे आन | सर्वत्र बिसन मिलई, उतर रे बिच्छू उतर |
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति | फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ||

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बातूनी कछुआ - The Talkative Tortoise

बातूनी कछुआ – The Talkative Tortoise

एक समय की बात है, किसी नदी में संकट और विकट नाम के दो हंस कम्बुग्रीव नामक कछुए के साथ रहते थे। तीनों अच्छे मित्र थे। एक बार उस क्षेत्र में अकाल पड़ गया और जल के सभी स्त्रोत नदियां, झीलें तथा तालाब आदि सूख गए। पक्षियों तथा जानवरों के पीने के लिए पानी की एक बूंद भी न बची। वे बेचारे प्यास के मारे दम तोड़ने लगे। Read more about बातूनी कछुआ – The Talkative Tortoise