वह बारहसिंघे को सबक सिखाना चाहता था। वह एक मनुष्य के पास गया और बोला, क्या तुम जंगली बारहसिंघे को दंड देने में मेरी सहायता करोगे?” वह मनुष्य बोला, जरूर। लेकिन एक बात बताओ। क्या तुम मुझे अपनी पीठ पर सवारी कराओगे? तभी मैं तुम्हारी सहायता करूँगा और बारहसिंघे को अपने हथियार से दंड दूंगा।”
घोड़ा बोला, “हाँ, हाँ..क्यों नहीं? मैं तैयार हूँ।” तभी से घोड़ा बारहसिंघे से बदला लेने की उम्मीद में मनुष्य का सेवक बनकर काम कर रहा है।