गिरगिटों का अपना एक अलग वर्ग है और वे साधारण सरीसर्प जीव नहीं हैं| अपने विशिष्ट गुणों के कारण वे अपने निकटतम संबंधी छिपकली से अलग पहचान बनाए हुए हैं| गिरगिट की जीभ उसके शरीर जितनी लंबी होती है| इसके अंग लंबे और पतले होते हैं तथा इसकी उंगलियां और अंगूठे तोते के पंजों से मेल खाते हैं| हेनरी के सिर पर गहने के रूप में अग्निशमन दल के व्यक्ति द्वारा पहनी गयी हेलमेट जैसी एक सख्त कलगी थी|
हेनरी की आंखें ही उसकी सबसे बड़ी धरोहर थीं| वे सुंदर नहीं थीं, लेकिन दाईं आंख बाईं से एकदम स्वतंत्र थी| वह एक आंख को स्थिर रखकर दूसरी आंख घुमा सकता था| सिर के ऊपर उभरी हुई उसकी दोनों आंखें, आगे-पीछे, ऊपर-नीचे घूम सकती थीं| उसकी ये निधड़क चेष्टाएं हेनरी को भयानक रूप देती थीं| उसकी भयानक आंखें ही डरे हुए लोगों को उसके खतरनाक और जहरीले होने का विश्वास दिला देती थीं|
एक दिन दादाजी उत्तर भारत में अपने मित्र से मिलने जा रहे थे कि उन्हें बगीचे के प्रवेश द्वार पर शोर सुनाई दिया| लोग चिल्ला रहे थे, पत्थर फेंक रहे थे और छड़ियों से पीट रहे थे| हो-हल्ले का कारण एक गिरगिट था, जो एक झाड़ी पर बैठा धूप सेंक रहा था| एक का कहना था कि गिरगिट बीस फुट दूर से थूककर लोगों में जहर फैला सकता है| मुहल्ले के लोग लाठी-डंडे लेकर इकट्ठे हो गये थे| दादाजी उसे बचाने के लिए समय पर न पहुंचे होते तो उसकी मौत निश्चित थी| दादाजी उसे बचाने के लिए समय पर न पहुंचे होते तो उसकी मौत निश्चित थी| दादाजी उसे घर ले आये|
उसी गिरगिट का नाम हेनरी रखा गया और इस प्रकार वह हमारे साथ रहने आया|
मैंने जब पहली बार हेनरी को देखा तो वह मुझसे बहुत सावधानी से मिला| मेरी ओर पीठ किए वह बिना हिले-डुले अपनी जगह बैठा रहा| मेरी ओर वाली उसकी आंख सर्चलाईट की तरह तब तक घूमती रही, जब तक कि वह मेरे ऊपर टिक नहीं गयी| मेरी ओर वाली आंख रुक गयी और तब दूसरी आंख अपना स्वतंत्र निरिक्षण करने लगी| हेनरी ने लंबे समय तक किसी पर विश्वास नहीं किया| लेकिन मेरे अत्यंत मैत्रीपूर्ण संकेतों का वह संदेश के साथ जवाब देने लगा|
मैं उसके चौकन्ने व्यवहार से थककर उसकी पसलियों में धीरे से उंगली रखता| इससे उसे बहुत ज्यादा गुस्सा आ जाता| वह फूलकर आकार में बड़ा हो जाता, उसके फेफड़े उसके शरीर में वायु भरते जबकि उसका रंग हरे से लाल में बदल जाता| वह पिछले पैरों पर उठकर मुझे डराने के इरादे से इधर-उधर हिलने लगता| मुंह को बहुत ज्यादा खोलकर वह गुस्से का प्रदर्शन इससे ज्यादा नहीं होता| उसने किसी को काटा नहीं|
वह खतरनाक नहीं था| यहां तक कि जब वह बहुत गुस्से में होता तो भी अगर मैं उसके मुंह में उंगली डाल देता तो वह मुझे आराम से उंगली बाहर निकालने देता| मुझे लगता है कि वह काट सकता था| नुकीले-पैने दांत उसके कठोर जबड़ों की शोभा बढ़ा रहे थे| लेकिन हेनरी को संभवत: मालूम था कि उसके दांत केवल खाना चबाने के लिए हैं, उंगलियां चबाने के लिए नहीं|
हेनरी कभी-कभी मेरे हाथ से खाना-खाने को तैयार हो जाता था| यह वह बहुत शीघ्रता से करता था| उसकी जीभ चल-मशीन की तरह काम करती और जब भी वह वापस मुंह में जाती तो इस पर एक कीड़ा चिपका होता था|
हालांकि हेनरी ने घर में किसी प्रकार की परेशानी पैदा नहीं की, लेकिन सड़क के किनारे पौधशाला में तो उसने उधम ही मचा रखा था| यह सब बहुत भोलेपन में शुरू हुआ|
जब बगीचे के पपीते पक गये तो दादीमां ने एक टोकरी भर पपीते अपनी सहेली, नर्सरी स्कूल की मुख्य अध्यापिका श्रीमती घोष के पास भेजे थे| पपीतों से भरी टोकरी माली ले जाने को था कि तभी कीड़ों की तलाश में हेनरी पपीतों में घुसा और छुप गया| माली टोकरी को सीधे स्कूल ले गया और श्रीमती घोष के कार्यालय में रख आया| स्कूल परिसर में भ्रमण के बाद श्रीमती घोष जब लौटीं तो वह पपीते देखकर खुश हो गयीं ओर उन्हें उलटने-पलटने लगीं| इतने में हेनरी बाहर उछला|
श्रीमती घोष भय से चिल्लाईं| हेनरी ने दोनों आखें तेजी से घुमाते हुए उनकी ओर देखा| हेनरी का रंग हरे से पीला और अंत में लाल हो गया| उसने अपना मुंह ऐसे खोल रखा था, मानो वह भी चिल्लाना चाहता हो| इतने में एक सहायक अध्यापक दौड़ता हुआ अंदर आया और गिरगिट को देखते ही चिल्लाने लगा|
हेनरी डरा हुआ था| वह कार्यालय से निकल भागा और बरामदे से होता हुआ एक कक्षा में घुस गया| वह एक डेस्क पर चढ़ गया| उसे डेस्क पर चढ़ा देखकर बच्चे इधर-उधर भागने लगे, कुछ उसे पकड़ने के लिए और कुछ उससे बचने के लिए| अंत में हेनरी एक खिड़की से निकलने में कामयाब हो गया और बगीचे में चला गया|
श्रीमती घोष से दादीमां को इस घटना का पता चला, लेकिन दादी ने नहीं बताया कि गिरगिट हमारा है, क्योंकि यह बात उनकी मित्रता में दरार डाल सकती थी|
हमारा घर स्कूल से तीन ब्लाक दूर होने के कारण, दादाजी और मुझे कतई विश्वास नहीं था कि हेनरी पुन: हमारे पास लौटेगा| लेकिन कुछ दिन बाद ही मैंने उसे बाग की दीवार पर धूप सेंकते हुए पाया| अपनी कारगुजारी पर उसे जरा भी पश्चात्ताप नहीं था, लेकिन हेनरी दुबारा घर छोड़कर बाहर नहीं गया| हेनरी ने अपना बाकी जीवन बगीचे में बिताया ओर कीड़ों की संख्या को बहुत ज्यादा नहीं बढ़ने दिया|