एक बार राजा, रानी के साथ बगीचे में बैठा था। उसने एक चींटी को मिठाई के टुकड़े के बारे में बोलते सुना। राजा चींटी की बात सुनकर मुस्कराने लगा। रानी ने उससे मुस्कराने का कारण पूछा। राजा ने रानी को बहुत समझाने की कोशिश की। पर वह बार-बार कारण पूछती ही रही। आखिरकार राजा उसे रहस्य बताने को तैयार हो गया। तभी आकाशवाणी सुनाई दी, “हे राजन, तुम क्यों उसके लिए अपने प्राणों का बलिदान दे रहे हो, जो स्वयं तुम्हारे प्राणों का मूल्य नहीं समझ रही थी ?”
राजा ने रानी को बताया कि वह कितनी स्वार्थी है। रानी को भी अपनी गलती समझ में आ गई।