एक चालाक लोमड़ी उठ खड़ी हुई और हँसते हुए बोली, “अगर मेरी पूँछ भी कट गई होती, तब तो मैं तुम्हारी बात का समर्थन कर देती। लेकिन मेरी पूँछ तो सकुशल है तो मैं या बाकी लोमड़ियाँ अपनी-अपनी पूँछ क्यों काटें ? तुम अपनी स्वार्थी सलाह अपने पास ही रखो।”
एक चालाक लोमड़ी उठ खड़ी हुई और हँसते हुए बोली, “अगर मेरी पूँछ भी कट गई होती, तब तो मैं तुम्हारी बात का समर्थन कर देती। लेकिन मेरी पूँछ तो सकुशल है तो मैं या बाकी लोमड़ियाँ अपनी-अपनी पूँछ क्यों काटें ? तुम अपनी स्वार्थी सलाह अपने पास ही रखो।”