“मुझे तो लगता है कि पिछले सालों से इस साल गर्मी शायद कुछ शायद कुछ ज्यादा है|” अयन ने कक्षा में बैठे दूसरे बच्चों की ओर देखते हुए कहा|
तभी अमित असर कक्षा में प्रवेश करते हुए बोले, “शायद नहीं बल्कि पक्की तौर पर पिछले सालों से साल गर्मी ज्यादा है और हर साल यह गर्मी बढ़ती ही जानी है|”
“ऐसा क्यूं सर?” नवेद ने पूछा|
“आज मनुष्य अपनी सुविधा के लिए हरे-भरे पेड़ों और जंगलों को काटता चला जा रहा है| इससे एक तरफ तो पृथ्वी की हरियाली कम हो गयी है जिससे उसका तापमान बढ़ता जा रहा है| दूसरी तरफ इससे वर्षा भी कम हो रही है जिससे धरती सूखती चली जा रही है| अगर ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब यह पृथ्वी तपते हुए रेगिस्तान में बदल जाएगी” अमित सर ने बताया|
“सर, क्या आप सच कह रहे हैं?” समर्थ ने घबराए स्वर में पूछा|
“बिल्कुल सच|”
“सर, क्या इससे बचने का कोई उपाय नहीं है” नवेद ने जानना चाहा|
“उपाय तो बहुत आसन है लेकिन कोई उसे अपनाता नहीं है” अमित सर ने ठंडी सांस भरते हुए कहा|
“सर, आप हमें बताईये क्या करना है| हम जरुर करेंगे” ज्योति, समर्थ, अयन और कई बच्चों ने एक साथ कहा|
यह सुन अमित सर ने सभी बच्चों को प्यार से देखा फिर बोले, “ज्यादा कुछ नहीं| अगर हर इंसान केवल एक-एक पेड़ लगा दे तो इस धरती की खोयी हुयी हरियाली वापस आ सकती है| यह काम तुम लोग भी कर सकते हो| पॉकेट-मनी से एक-एक पौधा खरीद कर अपने-अपने घर के सामने लगा सकते हो और इतने फल खाते हो उनके बीज ही बो दो, बेटा कुदरत खुद बढ़ती है, किसी बड़े पेड़ के पास उसी के नन्हे पौधे उग जाते हैं, उन्हीं को अलग-अलग जगह बो दो|”
“यह तो बहुत आसन काम है| हम लोग अगले रविवार को ही यह काम करेंगे” अयन ने कहते हुए अपने दोस्तों की ओर देखा तो सारे बच्चे चिल्ला उठे “हां, हम सब पेड़ लगाएंगे|”
अमित सर ने बच्चों को बताया कि अशोक का पेड़ बहुत जल्दी लग जाता है और यह वातावरण को बहुत शुद्ध करता है| पीपल का पेड़ हमें चौबीसों घंटे ऑक्सीजन देता है| नीम के पेड़ में एंटीबाईटिक के गुण होते हैं| बरगद का पेड़ घनी छांव देता है| आम का पेड़ फल के साथ-साथ ढेर सारा ईंधन भी देता है| इसलिए इन सबके पेड़ लगाए जाने चाहिए|
रविवार वाले दिन को सभी बच्चे बहुत उत्साहित थे| अयन, समर्थ और ज्योति नर्सरी से पौधे खरीदने चले गए| नवेद, सनी, रितेश और उसके दोस्त अपने-अपने घरों के सामने गड्ढे खोदने लगे! थोड़ी ही देर में बच्चों ने उन गड्ढों में पौधे लगा दिए|
सभी लोग स्कूल जाने से पहले और स्कूल से लौटने के बाद उन पौधों को पानी भी देते| तीन-चार दिनों में वे पौधे लहराने लगे| यह देख सभी बहुत खुश थे|
अगले रविवार सारे दोस्त कॉलोनी के पार्क में जमा हुए| समर्थ ने कहा, “दोस्तों, हम लोग आज तक यही समझते रहे कि पेड़ लगाना सरकार का काम है| हमें पता ही नहीं था कि यह इतना आसान काम है| हम लोग अपने-अपने घरों के आगे पेड़ लगा चुके हैं| अगर आप लोग साथ दें तो हम कॉलोनी के सभी घरों के सामने एक-एक पेड़ लगा सकते हैं|
सभी दोस्तों ने तालियां बजा कर समर्थ की बात का समर्थन किया| थोड़ी ही देर में वे सब अपनी-अपनी पॉकेट मनी जमा कर नर्सरी से ढेर सारे पौधे लाए|
सबसे पहले वे लोग शर्मा अंकल के घर पहुंचे| अयन ने घंटी बजायी तो शर्मा अंकल ने बाहर निकलते हुए पूछा, “क्या बात है बच्चों| आज इतने लोग एक साथ कैसे?”
“अंकल, क्या हम लोग आपके घर के सामने एक पेड़ लगा सकते हैं” नवेद ने पूछा|
“क्यों?”
“जिस तरह से पेड़ काटे जा रहे हैं उससे यह धरती एक दिन तपते हुए रेगिस्तान में बदल जाएगी| इसलिए हम सबको चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगायें ताकि धरती की खोयी हुयी हरियाली वापस आ जाए” ज्योति ने बताया|
“अंकल, हम लोग अपने-अपने घरों के सामने पेड़ लगा चुके हैं| अब हम पूरी कॉलोनी में सबके घर के आगे एक-एक पेड़ लगाना चाहते हैं” अयन ने बताया|
“अरे वाह, यह तो बहुत अच्छी बात है| इस बारे में तो हम बड़ों को भी कुछ न कुछ करना चाहिए|” शर्मा अंकल खुश होते हुए बोले|
उन्होंने सभी बच्चों को मिठाई खिलायी फिर अपने घर के सामने पेड़ लगवाया| बाद उन्होंने कॉलोनी के लोगों को जमा कर कहा, “ये बच्चे पृथ्वी की हरियाली बचाने के लिए इतना अच्छा काम कर रहे हैं| हम बड़ों को भी कुछ करना चाहिए|”
“आप बताइए हमें क्या करना होगा” सक्सेना जी ने कहा|
“बच्चों ने जो पेड़ लगाए हैं उन्हें कहीं जानवर न खा जाएं इसलिए हमें उन पर ट्री-गार्ड लगवा देने चाहिए” शर्मा जी ने कहा तो सभी लोग फौरन राजी हो गए|
“उसी दिन शाम तक बाजार से ढेर सारे ट्री-गार्ड आ गए| उन्हें पौधों के ऊपर लगा दिया गया| बच्चों के साथ-साथ बड़े भी रोज उन पेड़ों को पानी देने लगे| थोड़े ही दिनों में उस कॉलोनी की सड़कें हरियाली से भर उठीं|
इस कॉलोनी की हरियाली की खबर जब शहर के दूसरे लोगों को लगी तो सभी ने अपने-अपने इलाके में वृक्षारोपण का अभियान शुरू कर दिया| सभी इस पृथ्वी की हरियाली वापस लाने में अपना-अपना योगदान देना चाहते थे|