एक दिन पास के गाँव में रहने वाले उनके किसी मित्र का निमंत्रण पत्र उन्हें मिला| उनके मित्र ने उन्हें अपनी बहन की शादी पर बुलाया था|
इस यात्रा पर जाने के लिए दोनों बड़ी ख़ुशी से तैयारी करने लगे और अगली ही सुबह वहाँ के लिए रवाना हो गए| रास्ते में उन्हें जंगली जानवरों से भरे एक जंगल के बीच में से होकर जाना था|
वे डरे हुए एक दूसरे का हाथ थामे चल रहे थे| कुछ दूरी पर उन्हें एक भालू सामने से आता दिखाई दिया, दोनों ही बुरी तरह डर गए| मोलू पतला और फुर्तीला था, अत: वह जल्दी से एक बड़े पेड़ पर चढ़ गया| गोलू बेचारा मोटा था, वह मोलू के पीछे नहीं जा सका| परंतु उसे अपनी दादी माँ के कहे शब्द याद थे| दादी ने उसे बताया था कि भालू मृत शरीर को नहीं खाता| वह जल्दी से अपनी साँस रोक कर ज़मीन पर लेट गया| भालू गोलू के पास आया और उसने उसके मुँह और शरीर को सूँघा| उसे लगा वह मृत शरीर है, इसलिए वह आगे बढ़ गया|
जब भालू दूर चला गया तब मोलू पेड़ से नीचे उतरा| वह गोलू के पास गया और उससे पूछने लगा, “मैंने देखा भालू तुमसे कुछ कह रहा था| उसने तुमसे क्या कहा?”
गोलू ने चिढ़ते हुए जवाब दिया, “भालू ने मुझसे कहा कि मुसीबत के समय जो तुम्हारा साथ छोड़ दे, उस मित्र पर विश्वास नहीं करना चाहिए|”
मोलू बहुत लज्जित हुआ| खतरे के समय अपने मित्र को अकेला छोड़ने पर उसे बहुत ग्लानि हुई और उनकी दोस्ती का हमेशा के लिए अंत हो गया|
कथा सार: मित्र वही है जो विपदा के समय काम आए|