कुछ न सूझा तो वह भैंस के आगे खड़ी होकर उसे समझाने लगी, ‘सुनो काली माता, धमाके की बात तुम किसी से कहोगी नहीं न?’ तभी भैंस के कान पर एक मक्खी बैठी और उसने सिर हिलाना शुरू किया| बेगम समझी, भैंस कह रही है कहूंगी-कहूंगी| अब? वह जरूर ग्वाले से कहेगी और ग्वाला सारे गांव में खबर फैला देगा|
बेगम घर में आ कर सिर पर हाथ कर बैठ गई| थोड़ी देर बाद तैयब अली आया| उसने बीवी को कोने में बैठ कर बिसूरते देखा तो पूछा, ‘बेगम बटाना, आप चुपके-चुपके रो क्यों रही हैं? बेगम बोली, ‘अब क्या बताऊं, बहुत ही बुरा हुआ है| मेरी तो जबान ही नहीं खुलती|’ तैयब अली बोला, ‘आखिर बात क्या है?’ बेगम ने सारा किस्सा कह सुनाया| फिर जोड़ा ‘मैंने भैंस को काफी समझाया, पर वह मानती ही नहीं| वह कहेगी ग्वाले से और ग्वाला कहेगा सारे गांव को| मैं गांव वालों को अपना मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहूंगी|’
तैयब अली ने कहा, ‘यह सिर्फ आपकी नहीं, हमारी आबरू का भी सवाल है| डूब मरने की नौबत हमारी भी आएगी| चलो बेगम बटाना, आज ही रात में यह घर छोड़ कर हम दूसरे गांव चले जाएं|
रात होने पर दोनों ने मिल कर घर का सारा सामान बैलगाड़ी पर चढ़ाया और निकल पड़े| अभी वे गांव के सिवान तक ही पहुंचे थे कि एक संत्री ने पुकारा, ‘गाड़ी में कौन है?’ तैयब अली बुदबुदाया, ‘क्या आप हमें नहीं जानते? हम तैयब अली ताहेर अली तोपवाला हैं|’ संत्री ने फिर पूछा, ‘लेकिन इतनी रात गए आप लोग जा कहां रहे हैं?’ वह बोला, ‘अब कैसे बताएं? हमारे सिर पर आफत आ उतरी है|’ संत्री ने सच्चाई जानना चाही तो तैयब अली ने सारा किस्सा विस्तार से सुनाते हुए पूछा, ‘अब आप ही बताइए, हम क्या करें?’
‘यह तो बड़ा आसन है|’ संत्री मुस्करा कर बोल, ‘मैं अभी राजा से प्रार्थना करके मनाही करवा देता हूं कि इस बारे में कोई भी आदमी किसी से कुछ न कहे|’
दूसरे रोज सवेरे दरबार में जा कर संत्री ने राजा से गुजारिश की| राजा ने सारे गांव में ढिंढोरा पिटवा दिया ‘बेगम बटाना का यह राज कि उसने धड़ाम से डकार मारी थी, कोई किसी से नहीं कहेगा|’