छ: जन्मांध और हाथी - Blind Men and An Elephant

छ: जन्मांध और हाथी – Six Blind Men and The Elephant

एक समय की बात है एक गाँव में छ: नेत्रहीन व्यक्ति रहते थे| उन सभी के बीच गहरी मित्रता थी और वे सदैव एक साथ ही बाहर निकलते थे| छड़ी के सहारे रास्ता खोजते वे सदा पंक्तिबद्ध चलते थे| एक दिन जब वे मंदिर की सीढ़ियों तक पहुँचे तो उन्हें रास्ते में कुछ पड़ा मिला| वह एक मरा हुआ हाथी था, परंतु वे अंधे व्यक्ति कैसे समझते कि वह क्या था?

एक राह चलते राहगीर ने उन्हें बताया कि यहाँ एक मरा हुआ हाथी रास्ते में पड़ा है| वे सभी जन्मांध थे, उन्हें हाथी का मतलब समझ नहीं आया| वे हाथी के अलग-अलग अंगों को छूकर देखने लगे|

पहले अंधे व्यक्ति ने हाथी के शरीर को छूकर बताया, “हाथी एक दीवार की तरह है|”

दूसरे अंधे व्यक्ति ने हाथी के दाँतों को छुआ| वे बड़े तीखे और पैने थे| वह बोला, “हाथी एक बरछी की तरह है|”

तीसरे अंधे व्यक्ति ने उसकी लंबी घुमावदार सूँड को छुआ| वह बोला, “यह तो साँप की तरह है|”

चौथे व्यक्ति ने हाथी के पैरों पर अपना हाथ घुमाया और अचंभित होकर बोला, “हाथी एक पेड़ की तरह है|”

पाँचवे अंधे व्यक्ति ने हाथी के कानों को हुआ| वह बड़े और सपाट थे| वह सोचकर हँस पड़ा और बोला, “यह तो पंखे की तरह है|”

छठे अंधे व्यक्ति ने उसकी पूँछ को पकड़ा था| वह सख्त और घुमावदार थी| वह बोला, “हाथी रस्सी की तरह लगता है|”

अब वे सभी हाथी की बनावट को लेकर आपस में बहस करने लगे| वे सभी अपनी जगह सही भी थे और गलत भी| उन सभी ने हाथी के बारे में जो कहा वह सच था| लेकिन वह सब गलत थे क्योंकि उन्होंने पूरे हाथी को एक साथ नहीं देखा था|

कथा सार: अंधा व्यक्ति रंग की पहचान नहीं कर सकता|

 

 

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