बंदरों को जो सामान हाथ लगता, उसी से वे खेलने लगते। एक बंदर को लकड़ी का एक मोटे लड़े में एक बड़ी-सी कील लगी दिखाई दी। कील की वजह से लड़े में बड़ी दरार सी बन गई थी। बंदर के मन में आया कि वह देखे कि आखिर वह है। क्या जिज्ञासा से भरा बंदर जानना चाहता था कि वह कील क्या चीज है। बंदर ने उस कील को हिलाना शुरू कर दिया। वह पूरी ताकत से कील को हिलाने और बाहर निकालने की कोशिश करता रहा। आखिरकार, कील तो बाहर निकल आई लेकिन लट्टे की उस दरार में बंदर का पैर फंस गया। कील निकल जाने की वजह से वह दरार एकदम बंद हो गई। बंदर उसी में फंसा रह गया और पकड़ा गया। मजदूरों ने उसकी अच्छी पिटाई की।
जिस बात से हमारा कोई लेना-देना न हो, उसमें अपनी टाँग नहीं अड़ाना चाहिए।