दोस्ती का रिश्ता

दोस्ती का रिश्ता

दिशा अपने स्कूल की सहेलियों के साथ अपने घर लौट रही थी| तभी उसे किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी| दिशा के कदम रुक गए|

उस ने देखा झाड़ियों के पास एक नन्हा पिल्ला ‘कूंकूं’ करता हुआ ठंड से कांप रहा था| उस की हालत देख कर दिशा को दया आ गई|

वह उस के पास गई| अपने बैग में से ऊन का बना मफलर निकाला और उस पर डाल दिया|

‘लगता है इसे भूख भी लगी है| क्यों न मैं इसे अपने घर ले जाऊं| थोड़े दिन इसे वहां रखूंगी, जब स्वस्थ हो जाएगा तो छोड़ दूंगी| यह सोच कर दिशा उसे अपने साथ घर ले आई|

घर ला कर उस ने पिल्ले को 4-5 बिस्कुट और थोड़ा दूध पीने को दिया| भूख शांत हुई तो पिल्ले ने अपनी गोलगोल आंखें मटकाईं और फिर सो गया|

“दिशा, यह तुम राह चलते किसे उठा लाई हो? चलो, जल्दी से इसे घर से बाहर करो, वरना यह पूरे घर में गंदगी करता घूमेगा,” मां को दिशा का यों पिल्ले को घर लाना अच्छा नहीं लगा|

“मां, प्लीज, मेरे दोस्त को कुछ दिन यहीं रहने दो| अभी इस की हालत ठीक नहीं है| मैं इस की देखभाल करना चाहती हूं|” दिशा ने विनती की तो मां मान गई|

सफेद बालों की वजह से दिशा ने उस का नाम गोरू रख दिया| गोरू ठीक होने लगा था| अपने नन्हे दोस्त के साथ खेल कर दिशा खुश होती|

जब वह स्कूल से लौटती तो गोरू उस के पांवों से लिपट कर कूंकूं करता| दिशा उसे गोद में उठा कर प्यार करती| फिर अपने हिस्से के दूध और बिस्कुट खिलाती|

धीरे-धीरे गोरू गेंद से खेलना सीख गया| मुंह से गेंद दबा कर वह दौड़ता तो दिशा खूब खुश होती| दोनों की दोस्ती गहरी होती गई|

“मां, मुझे एक सप्ताह के कैंप में भाग लेने बाहर जाना है| मैं गौरू को वहां नहीं ले जा सकती, क्योंकि वहां के नियम इस की इजाजत नहीं देते| पीछे से तुम मेरे दोस्त का ख्याल रखोगी न?” दिशा ने मां से कहा, “प्लीज, मना मत करना|”

“ठीक है बेटा, तुम गोरू की चिंता मत करना| हम सब उस का पूरा ध्यान रखेंगे|” मां बोली|

दिशा कैंप में भाग लेने चली गई| अपने दोस्त को घर में न पा कर गोरू उदास हो गया| हर वक्त दिशा को ढूंढ़ता रहता| उस ने खानापीना भी छोड़ दिया तो दिशा के पापा चिंतित हो गए| वे उसे अस्पताल दिखाने ले गए| कार से वे अस्तपाल पहुंच कर उतरे तो गोरू भाग गया|

“बहुत कोशिश करने पर भी मैं उसे नहीं पकड़ सका| बेटी,” पापा ने दिशा का कैंप से लौटने पर घटना के बारे में बताया, तो उस की आंखों में आंसू आ गए|

अपने दोस्त गोरू को उस ने हर जगह बहुत ढूंढा, पर उस का कहीं पता नहीं चला| गोरू से बिछड़ कर दिशा कई दिनों तक उदास रही|

“मेरे दोस्त, न जाने तुम किस हाल में होंगे? जहां भी रहना हमेशा खुश रहना|” दिशा ने धीरे-धीरे उसे भुलाने की कोशिश की| परीक्षा सिर पर थी| उस ने मन लगा कर तैयारी शुरू कर दी|

पेपर खत्म हुए तो छुट्टियां हो गईं| दिशा थोड़े दिनों के लिए ननिहाल रहने चली आई| उस की नानी दिशा का खूब ख्याल रखती थीं|

एक रोज दिशा विज्ञान मेला देखने गई| वहां से लौटने में थोड़ी देर हो गई| वह जल्दी घर पहुंच जाना चाहती थी क्योंकि उसे पता था कि नानी चिंता कर रही होंगी|

रास्ते में एक सुनसान जगह पर दिशा को थोड़ा डर लगने लगा था| तभी अचानक एक कार उस के पास आ कर रुकी| उस मियन से 2 बदमाश नीचे उतरे|

बदमाशों ने दिशा को पकड़ा और जबरदस्ती उठा कर कार में डालने लगे| दिशा जोर से बचाओ बचाओ चिल्लाई| वहां आसपास कोई नहीं था| फिर बचाने कौन आता|

तभी किसी ने उन दोनों बदमाशों पर छलांग लगा दी| उस ने बदमाशों से दिशा को छुड़ाने के लिए पूरी ताकत लगा कर उन्हें जगह जगह काट खाया|

“ठहर, तुझे अभी मजा चखता हूं|” कहते हुए एक बदमाश ने जेब से चाकू निकाल कर हमला करने वाले कुत्ते पर वार कर दिया| वह कुत्ता फिर भी नहीं रुका|

तब तक कुछ लोग वहां पहुंचे तो बदमाश दिशा को वहीँ छोड़ कर भाग गए| दिशा बेहोश हो चुकी थी| उधर गोरू भी चाकू लगने से जख्मी हो गया था|

दोनों को अस्पताल ले जाया गया| “मैं इसे ले कर पार्क में घूम रहा था| तभी तुम्हारी चीख सुन कर यह रस्सी छुड़ा कर भागा| बेटा, न जाने इस का तुम्हारे साथ कौन सा रिश्ता है|” गोरू के मालिक ने स्वस्थ हो रही दिशा से कहा तो दिशा मुस्करा दी|

“अंकल, मेरा इस के साथ दोस्ती का रिश्ता है,” कहते हुए दिशा ने गोरू को पहचान कर गले से लगा लिया| “धन्यवाद दोस्त, तुम ने मुझे बदमाशों के हाथों में पड़ने से बचा लिया|” उसे ने कहा| गोरू भी अपनी खोए हुए दोस्त को पा कर बेहद खुश था|

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