गौरैया, कठफोड़वा और मक्खी, तीनों मेंढक के पास गए और उसे पूरी बात बताई।
मेंढक बोला, “हम सब एकजुट हो जाएँ तो हमारे सामने हाथी क्या कर लेगा? जैसा मैं कहता हैं, वैसा ही करो। मक्खी, तुम दोपहर में हाथी के पास जाना और उसके कानों में कोई मीठी-सी धुन सुनाना। जब वह धुन में मग्न होकर अपनी आँखें बंद कर ले तो कठफोड़वा उसकी आँखें फोड़ देगा। वह अंधा हो जाएगा और जब उसे प्यास लगेगी तो वह पानी की खोज करेगा। तब मैं दलदल के पास जाकर वहाँ से टर्र-ट्र्र करने लगा। वह समझेगा कि वहाँ पानी है और वह वहीं पहुँच जाएगा और दलदल में फंसकर मर जाएगा।”
चारों ने मेंढक की योजना के अनुसार अपने-अपने काम अच्छी तरह से किए और बिना सोचे-समझे काम करने वाला हाथी मारा गया।