मूर्ख सारस और केकड़ा - The Foolish Swan and the Crab

मूर्ख सारस और केकड़ा

एक बड़े बरगद के पेड़ पर बहुत सारे सारस रहते थे। वहीं पर पेड़ के एक बिल में एक साँप भी रहता था। साँप सारस के छोटे-छोटे बच्चों को खा जाता था। जब सारस को पता चला कि साँप उनके बच्चों को खा जाता है तो वह रोने लगा। उसके रोने की आवाज सुनकर एक केकड़ा वहाँ आ पहुँचा और उससे रोने का कारण पूछने लगा।

सारस ने उसे पूरी बात बताई और उससे अनुरोध किया कि वह निर्दयी साँप से छुटकारा पाने का कोई तरीका सुझाए। केकड़े ने अपने आपसे कहा, “ये सारस तो जन्म से ही हमारे शत्रु होते हैं। मुझे इन्हें गलत सलाह देनी चाहिए।”

इस प्रकार, केकड़े ने सारस को सलाह दी, “नेवले के बिल से लेकर पेड़ तक माँस के टुकड़े बिखरा दो। नेवला उन टुकड़ों । के पीछे चलता-चलता यहाँ तक आ जाएगा और साँप को। मार डालेगा।”

सारस ने केकड़े की सलाह मान ली। नेवला आया और उसने साँप को तो मारा ही, साथ में सारे सारसों को भी मार डाला। इसीलिए कहा गया कि जो अपने । मित्र न हों, उनसे सलाह नहीं । लेनी चाहिए।

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