मेंढक और साँप - Frog and Serpent

मेंढक और साँप

एक साँप ने एक झील में रहने वाले सारे मेंढकों को खा जाने की योजना बनाई। साँप ने मेंढकों से कहा, “एक ब्राह्मण के शाप के कारण मैं तुम लोगों की सेवा करने यहाँ आया हूँ।” मेंढकराज बहुत उत्साहित हुआ और उसने सारे मेंढकों को यह बात बताई।। सारे मेंढक उछलकर साँप की पीठ पर चढ़कर सवारी करने निकल पड़े।

अगले दिन, साँप बोला, “मेरे पास खाने के लिए कुछ नहीं है। मैं तेजी से रेंग तक नहीं पा रहा हूँ।” मेंढकराज बोला, “तुम अपनी पूंछ पर सबसे पीछे बैठे सबसे छोटे मेंढक को खा सकते हो।”

साँप ने वैसा ही किया। कुछ दिनों में साँप एक-एक करके सारे मेंढकों को खा गया। केवल मेंढकराज ही बचा।

अगले दिन, मेंढकराज फिर बोला, “तुम अपनी पूंछ पर सबसे पीछे बैठे एक मेंढक को खा सकते हो,” साँप तुरंत उसको ही खा गया।

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