गांव का चिराग

गांव का चिराग

बबलू एक गरीब किसान का बेटा था, उस के मातापिता की मृत्यु हो चुकी थी, वह अपना पेट भरने के लिए गांव में सफाई का काम करता था पर गांव में कोई भी उसे पसंद नहीं करता था|

सभी लोग बबलू से नफरत करते थे| उसे किसी के घर जाने की अनुमति नहीं थी| लोगों ने अपने बच्चों को बबलू के साथ खेलने से भी मना कर दिया था|

बबलू स्वभाव से काफी अच्छा लड़का था फिर भी कोई उसे पसंद नहीं करता था| बच्चे उसे पर पत्थर फेंकते, उसे अपमानजनक तरीके और नाम से बुलाते| वह गांव में पूरी तरह से अलग हो गया था| वहां उस का साथ देने वाला कोई भी नहीं था|

गांव से उस से सब से ज्यादा नफरत करने वाला व्यक्ति रघु था| रघु गांव का मुखिया था| वह जब भी बबलू को देखता, उस पर टिप्पणी करने लगता| उसे अपमानित करता और गांव से दूर चले जाने के लिए कहता था|

रघु ने अपने बेटे राजू को भी बबलू के साथ खेलने से मना कर दिया था|

जब भी वह राजू और बबलू दोनों को साथ देखता, काफी गुस्से में जाता और बबलू को बुरी तरह पीटता भी था|

उस रात काफी ठंड थी| सुबह से ही बारिश हो रही थी| बादल गरज रहे थे| ऐसे समय में लोग सुरक्षित रहने के लिए अपने अपने घरों में रहना पसंद करते हैं|

रघु भी अपने घर में लेटा था| तभी किसी ने रघु के दरवाजे को खटखटाया|

आवाज सुन कर रघु ने दरवाजा खोला, उस ने देखा कि दरवाजे पर बबलू खड़ा था| वह बारिश से भीगा हुआ था और ठंड से कांप रहा था|

बबलू रघु से निवेदन करते हुए बोला, “साहब, मेरी झोपड़ी टूट गई है| झोपड़ी के अंदर काफी पानी भर गया है| मेरे पास इस के अलावा दूसरी कोई जगह नहीं है| जब तक बारिश बंद नहीं हो जाती| तब तक क्या आप मुझे यहां रहने देंगे?”

यह सुन रघु ने उसे घर से बाहर निकालते हुए गुस्से से कहा, “मेरे घर में आने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? जब तुम मेरे आसपास होते हो, मेरे साथ कुछ बुरा जरूर होता है| दफा हो जाओ और फिर कभी अपना चेहरा मत दिखाना|”

बबलू उदास हो कर वहां से चला गया|

एक दिन रघु और उस की पत्नी बहुत चिंतित थे, दरअसल, राजू पहाड़ी की तरफ गया था और बहुत देर के बाद भी वह वापस नहीं आया था|

गांव के लोग पहाड़ी के आसपास के इलाकों में जाने से डरते थे क्योंकि वहां जंगली जानवरों का खतरा था| जैसे जेसे समय बीतने लगा, रघु और भी घबराने लगा| वह राजू को खोजने के लिए हाथ में एक लंबी छड़ी ले कर पहाड़ी की तरफ गया लेकिन राजू कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा था| इसलिए वह कुछ ही देर में वापस आ गया|

रघु को अकेला देख कर उस की पत्नी माया फूटफूट कर रोने लगी| गांव के सभी लोग उसे चुप कराने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वह चुप नहीं हो रही थी|

तभी किसी ने सूचना दी कि बबलू भी पहाड़ी पर गया था| जरूर उस ने ही राजू को नुकसान पहुंचाया है| यह सुन कर रघु परेशान हो गया|

धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा| अब पहाड़ी पर जा कर राजू को खोजने का कोई फायदा नहीं था| वहां जंगली जानवरों की आवाज सुनाई देने लगी थी| रात काफी डरावनी लग रही थी|

तभी दरवाजे पर कोई आया| रघु ने देखा कि दरवाजे पर बबलू राजू को अपनों गोद में उठा कर खड़ा था| उन के कपड़े कीचड़ से सने हुए थे|

“तुम ने मेरे बेटे के साथ क्या किया है? मैं तुम्हें इतना मारूंगा कि तुम मर जाओगे,” रघु गुस्से से चिल्लाते हुए बोला|

“मेरे बच्चे राजू, तुम कहां थे?” माया रोते हुए बोली और जल्दी से राजू को सीने से लगा लिया| सब बबलू को गुस्से से देख रहे थे|

“जब मैं पहाड़ी के पास से गुजर रहा था, तब मैं ने रोने की आवाज सुनी| जब मैं पास गया तो मैं ने देखा कि वहां राजू एक दलदल भरे गड्ढे में गिरा हुआ है और बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है|

“मेरे हाथ में एक रस्सी थी| मैं रस्सी की मदद से गड्ढे में गया और राजू को बाहर निकाला| मैं खुश हूं कि मैंने समय पर राजू को बचा लिया| अब वह सुरक्षित और स्वस्थ है|” कह कर बबलू वहां से जाने लगा|

बबलू की पूरी बात सुन कर रघु का गुस्सा एकदम शांत हो गया और उस का व्यवहार बदल गया|

वह प्यार से बोला, “जा तक तुम हमें माफ नहीं कर देते, तब तक मैं तुम्हें कहीं जाने नहीं दूंगा| मैंने हमेशा तुम्हारे लिए बुरा सोचा है और तुम्हें कई बार परेशान भी किया है| इस के बावजूद तुम ने अपनी जान जोखिम में डाल कर मेरे बेटे की जान बचाई है|

“मैं अपने खराब व्यवहार के लिए तुम से माफ़ी मांगता हूं| तुम हमारे साथ रहो|” माया भी सिर हिलाते हुए बोली, “हां, सच में|”

“किसी को माफी मांगने की जरूरत नहीं है| साहब, मैं ठीक हूं, मैंने जो भी किया वह मेरा कर्तव्य था|” बबलू बोला, यह सुन कर रघु बोला, “तुम गांव के चिराग हो| मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं कि आज से कोई भी तुम्हें बुराभला नहीं कहेगा|”

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