परिचय से मिलता है साहस

गाती चिड़िया

एक थी चिड़िया| एक रोज वह राजमहल पहुंची| वहां उसे एक गुड्डा मिला| वह खुश होकर ठुमक-ठुमक नाचने लगी, गाने लगी:­

मुझे राजमहल से मिला है गुड्डा
मुझे राजमहल से मिला है गुड्डा

राजा ने यह सुना तो वह भड़क उठा| तुरंत उसने सिपाही को आदेश दिया, ‘उस नचनिया से गुड्डा छीन लिया जाए|’ जब गुड्डा छीन लिया गया तो चिड़िया गाने लगी|

कंजूस राजा ने छीन लिया है
गुड्डा हमारा, छीन लिया है

राजा ने सोचा, हम तो कंजूस-मक्खीचूस साबित हुए| उसने तुरंत सिपाही से कहा, ‘चिड़िया को उसका गड्डा फौरन लौटा दिया जाए|’ गुड्डा वापस मिला तो चिड़िया नाचने-गाने लगी :

यह कैसा डरपोक राजा है जो
जो चिड़िया से भी डरता है जो

इस बार राजा को इतना गुस्सा आया कि उसने तलवार से चिड़िया के टुकड़े-टुकड़े कर डाले| फिर रसोइए से कहा, ‘इन टुकड़ों पर मिर्च-मसाला डालो| मैं इन्हें कच्चा-कच्चा चबा जाऊंगा|’ तुरंत रसोइए ने पीली हल्दी, लाल टमाटर और हरी मिर्च डाली| तभी चिड़िया ने तान छेड़ दी :

आज तो मैं लाल पीली हरी बनी
इंद्रधनुष की रंगीन बहन बनी
आज तो मैं लाल पीली हरी बनी
स्वर्गलोक की सुंदर परी बनी

राजा बमका, ‘अरे, इस चिड़िया के अंग-अंग में प्राण हैं| इसे फौरन तल डालो, ताकि इसके प्राण निकाल जाए|’ रसोइए ने चिड़िया को तेल में छौंका| छन-सी आवाज उठी| फिर भी वह गाने लगी :

चली रे चली मैं तंग गली से चली
चली रे चली मैं तंग गली से चली
मेरे पांच फिसल-फिसल जाएं रे
तंग गली से चली तंग गली से चली

सिपाही भी परेशान| रसोइया भी परेशान| अब क्या किया जाए? राजा ऐंठ कर बोला, ‘मेरे पेट की चक्की में चिड़िया पिसेगी तो उसकी बोलती बंद हो जाएगी|’ चिड़िया के सारे टुकड़े आंतों के रास्ते राजा के पेट में पहुंच गए, लेकिन जबान बंद न हुई| वह गाने लगी :

कैसे सर्पीले हैं ये रास्ते
छछूंदर-सा है बिल
पसलियों के भवन में
धक-धक करे दिल

यह सुन राजा आग बबूला हो गया और अपने ही बाल नोचने लगा| सिर पीटने लगा सिपाहियों ने उसे शांत करते हुए बताया, ‘महाराज, यह गाती चिड़िया चमत्कारी है| देखना, फुर्र करती अभी बाहर निकलेगी और हम उसका कीमा बना कर उसे जमीन में सौ गज नीचे गाड़ देंगे| तभी उसकी बकवास बंद होगी|’

सारे सिपाही तलवार ले कर राजा को चारों ओर खड़े हो गए| राजा सिंहासन पर बैठा था| उसके एक कान में कुलबुलाहट शुरू हुई| राजा कुछ समझे, इससे पहले उसी कान से निकल कर चिड़िया उसके माथे पर बैठ गई| उसी क्षण सिपाहियों ने तलवार चला दी| चिड़िया झट से उड़ गई| तलवारें राजा की गरदन पर पड़ी| राजा का सिर धड़ से अलग हो गया| तब चिड़िया खिड़की पर बैठ गा रही थी…

जिसका सहारा राम है
उसका भी बड़ा नाम है
सनकी राजा गया परलोक
चिड़िया की बड़ी शान है

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