सौ गायों के चरवाहे
रे सौ गायों के चरवाहे
मेरी मम्मी से कहना
मेरी मम्मी से कहना… क्या कहोगे?
तोता भूखा नहीं है
तोता प्यासा नहीं है
तोता अमवा की डाल पर
तोता निर्मल से ताल पर
तोता कच्चे आम खाता है
तोता पक्के आम खाता है
तोता ठुमक-ठुमक नाचना है
तोता गुलछर्रे उड़ाता है
चरवाहे ने कहा, ‘गंगारामजी, अपनी इन गायों को छोड़ कर मैं तुम्हारी मां को संदेश पहुंचाने कैसे जा सकता हूँ? लेकिन तुम हो भले तोते| चाहो तो एक गाय रख लो|’ तोते ने वैसा ही किया| उसने गाय पेड़ से बांध दी|
थोड़ी देर बाद वहां से भैसों का चरवाहा गुजरा| उसके साथ सौ भैसों का झुंड था| तोते ने प्रार्थना की :
सौ भैंसों के चरवाहे
रे सौ भैसों के चरवाहे
मेरी मम्मी से कहना
मेरी मम्मी से कहना… क्या कहोगे?
तोता भूखा नहीं है
तोता प्यासा नहीं है
तोता अमवा की डाल पर
तोता निर्मल से ताल पर
तोता कच्चे आम खाता है
तोता पक्के आम खाता है
तोता ठुमक-ठुमक नाचना है
तोता गुलछर्रे उड़ाता है
चरवाहे ने कहा, ‘गंगारामजी, मेरे पास इतना समय कहां? लेकिन तुम हो अपनी मां के आज्ञाकारी बेटे| चाहो तो एक भैंस रख लो|’ तोते ने वैसा ही किया| उसे एक भैंस चुन कर पेड़ से बांध दी|
थोड़ी देर बाद वहां से बकरियों का गड़रिया गुजरा| उसने साथ सौ बकरियों का झुंड था| तोते ने उससे प्रार्थना की :
सौ बकरियों के चरवाहे
रे सौ बकरियों के चरवाहे
मेरी मम्मी से कहना
मेरी मम्मी से कहना…क्या कहोगे?
तोता भूखा नहीं है
तोता प्यासा नहीं है
तोता अमवा की डाल पर
तोता निर्मल से ताल पर
तोता कच्चे आम खाता है
तोता पक्के आम खाता है
तोता ठुमक-ठुमक नाचना है
तोता गुलछर्रे उड़ाता है
गड़रिये ने कहा, ‘गंगारामजी, इन बकरियों को अकेला छोड़ कर जाऊंगा तो शेर उन्हें खा जाएगा| लेकिन तुम हो नेक तोते| चाहो तो मेरी एक बकरी रख लो|’ तोते ने वैसा ही किया| उसने एक बकरी चुन कर पेड़ से बांध दी|
थोड़ी देर बाद वहां से भेड़ों का गड़रिया गुजरा| उसके साथ सौ भेड़ों का झुंड था| तोते ने उससे प्रार्थना की :
सौ भैंसों के चरवाहे
रे सौ भैसों के चरवाहे
मेरी मम्मी से कहना
मेरी मम्मी से कहना… क्या कहोगे?
तोता भूखा नहीं है
तोता प्यासा नहीं है
तोता अमवा की डाल पर
तोता निर्मल से ताल पर
तोता कच्चे आम खाता है
तोता पक्के आम खाता है
तोता ठुमक-ठुमक नाचना है
तोता गुलछर्रे उड़ाता है
गड़रिये ने कहा, ‘गंगारामजी, मेरी एक टांग लकड़ी की है, तुम्हारी मां को संदेश पहुंचाने मैं उतनी दूर कैसे जा सकता हूं? लेकिन तुम हो मियां मिट्ठू| चाहो तो एक भेड़ ले लो|’ तोते ने वैसा ही किया| उसने एक भेड़ चुन कर पेड़ से बांध दी|
बाद में वहां से घोड़ों का साइस, ऊंटों का रखवाला और हाथियों का महावत गुजरा| घोड़ों के साइस ने तोते को एक घोड़ा दिया| ऊंटों के रखवाले ने तोते को एक ऊंट दिया| हाथियों के महावत ने तोते को एक हाथी दिया|
अब तोता गाय, भैंस, बकरी, भेड़, घोड़ा, ऊंट और हाथी का काफिला ले कर एक मेले में पहुंचा| वहां उसने इन सारे जानवरों को बेच दिया और जो रुपए मिले, उनसे उसने सोने के जेवर बनवाए और अपने घर की ओर चल दिया| चलते-चलते रात हो गई| घर के सब लोग सो चुके थे| तोते ने कुंडी खटखटा कर पुकारा :
मम्मी ओ मम्मी मेरी प्यार मम्मी
किवाड़ खोलो खाट बिछाओ
दिये जलाओ शहनाई बजाओ
पंख झाड़ेगा आपका लाड़ला
मम्मी ओ मम्मी जश्न मनाओ
मां ने सोचा, इतनी रात गए मेरा बेटा कैसे आ सकता है? होगा कोई ठग! झूठ-मूठ ये सब कह रहा होगा| उसने दरवाजा नहीं खोला| अब तोता अपनी चाची के घर पहुंचा और दरवाजा खटखटा कर कहा :
चाची ओ चाची मेरी प्यारी चाची
किवाड़ खोलो खाट बिछाओ
दीये जलालो शहनाई बजाओ
पंख झाड़ेगा आपका लाड़ला
चाची ओ चाची जश्न मनाओ
चाची ने लेटे-लेटे ही सुना दिया, ‘माटी-मिले, यह भी कोई आने का समय है? सवेरे आना| मुर्गा बांग देगा, उसके घंटे भर बाद दरवाजा खुलेगा|’ निराश हो तोता वहां से अपनी बहन के घर गया और किवाड़ खटखटा कर बोला :
बहना ओ बहना मेरी प्यारी बहना
किवाड़ खोलो खाट बिछाओ
दीये जलाओ शहनाई बजाओ
पंख झाड़ेगा आपका लाड़ला
बहन ओ बहना जश्न मनाओ
बहन की नींद टूटी तो वह गुस्सा हो गई| भीतर से ही उसने फटकारा, ‘निगोड़े, भाग यहां से| मेरा भाई पागल थोड़े ही है, जो आधी रात गए बहन का किवाड़ खटखटाएगा! तू तो कोई उचक्का लगता है| फौरन चंपत हो जा, वरना…’
वहां से तोता कई रिश्तेदारों के घर गया, लेकिन किसी ने उस पर भरोसा नहीं किया| किसी ने दरवाजा नहीं खोला| अंत में वह नानी के घर पहुंचा और दुहाई दी :
नानी ओ नानी मेरी प्यारी नानी
किवाड़ खोलो खाट बिछाओ
दीये जलाओ शहनाई बजाओ
पंख झाड़ेगा आपका लाड़ला
नानी ओ नानी जश्न मनाओ
नानी ने तोते की आवाज पहचान ली| उसने बिस्तर पर से उठते हुए कहा, ‘कौन… बेटा गंगाराम? तुम आ गए?’ नानी ने किवाड़ खोला| वहीं, चौखट पर तोते ने उनके पांव छुए| नानी ने उसे आसीस दिए| उसके लिए खाट बिछाई| दीए जलाए| फिर जा कर शहनाई वाले को बुला लाई| घर में शहनाई बजने लगी| तोता खुश हो कर नाचने लगा| अपने पंख झाड़ने लगा| पंख में छिपाए जेवर-सोने के कंगन, बाजू-बंद, हार, छल्ले, बूटे, चूड़ियां फर्श पर गिरने लगे और देखते ही देखते वहां उनका ढेर बन गया|
सुबह हुई| सबको पता चला कि तोता कमाई कर के आया है और हजारों के गहने लाया है|
पड़ोस में एक कौअी रहती थी| उसने अपने बेटे मंगाराम से कहा, ‘लल्ले, तुम भी कुछ कम कर लाओ|’ उसी रोज कौआ चल दिया| लेकिन कहां राजा भोज और कहां गंगवा तेली! यानी कहां गंगाराम और कहां मंगाराम| कौवे को तो कूड़ा-करकट और गंदगी अच्छी लगती है| इसलिए वह घूरे पर पहुंचा और अपने पंखों में ठूंस-ठूंस कर कूड़ा भर लिया| जब रात हुई तो वह लौटा और तोते ही तरह कुंडी खटखटा कर बोला :
मम्मी ओ मम्मी मेरी प्यारी मम्मी
किवाड़ खोलो खाट बिछाओ
दीये जलाओ शहनाई बजाओ
पंख झाड़ेगा आपका लाड़ला
मम्मी ओ मम्मी जश्न मनाओ
बेचारी मां झटपट उठी| तुरंत दरवाजा खोला| खाट बिछाई| दिए जलाए| जब शहनाई बजने लगी तो कौआ खुश हो कर नाचने लगा| अपने पंख झाड़ने लगा| पंख से भरा हुआ सड़ा-गला कूड़ा गिरने लगा| देखते ही देखते सारा घर बदबू से भर गया| कौवी को ऐसा क्रोध आया कि उसने बेटे को जूते मार-मार कर घर से बाहर खदेड़ दिया|