घर से प्यारा देश

घर से प्यारा देश

सन् 1999 ई.| दिसम्बर का महिना| कड़ाके की सर्दी| पाकिस्तानी घुसपैठियों और भारतीय सेना के बीच युद्ध चल रहा था|

मेजर आहूजा ने सेना के जवानों को आगे बढ़ने का आदेश दिया| जवान दुश्मन के पीछे तेजी से आगे बढ़ रहे थे| अचानक जवानों का आगे बढ़ना रुक गया| पाकिस्तानी घुसपैठियों ने उस पुल को बम से उड़ा दिया था, जिससे भारतीय जवानों को नदी पार करके आगे बढ़ना था| वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या किया जाए?

अचानक एक भारतीय महिला, अपने दस-ग्यारह साल के बच्चे के साथ आई और बोली, “मेजर साहब, आप हमारे घर के पास से नदी पार कर सकते हैं| वहाँ नदी की चौड़ाई कम है और किनारे भी ऊंचे नहीं है|” मेजर आहूजा और उनके जवान उस महिला के पीछे-पीछे चल पड़े| वह उन्हें अपने घर तक ले गई| मेजर आहूजा को लगा कि पुल के बिना वे नदी पार नहीं कर पाएँगे|

मेजर को चुप देखकर महिला ने पूछा, “क्या बात है मेजर साहब!” मेजर ने कहा, “नदी पार करने के लिए पुल बनाना ज़रूरी है और उसके लिए लकड़ी के लट्ठे चाहिए|” मेजर ने इधर-उधर देखा, पर लट्ठे कही दिखाई नहीं दिए|

महिला ने अपने घर की तरफ इशारा करके कहा, “वे रहे लट्ठे|”

“पर यह तो तुम्हारा घर है|” मेजर ने कहा|

उस महिला ने एक बार अपने घर को देखा और फिर मेजर की तरफ| वह कहने लगी, “घर क्या होता है? लकड़ी के लट्ठे और पटरे ही तो घर होते हैं| ऐसे मौके पर घर की बात सोचता कौन है? क्यों शहीद! तुम क्या सोचते हो?” महिला ने अपने बच्चे से पूछा|

शाहिद बोला, “हाँ अम्मी, तुम ठीक कहती हो| हमारा देश बचना चाहिए, घर तो फिर बन जाएगा| इस समय तो हमें किसी भी कीमत पर देश की रक्षा करनी है| अगर देश नहीं रहेगा तो यह घर भी उजड़ जाएगा|” मेजर अपने जवानों को आदेश देने में झिझक रहे थे, तब उस महिला ने अपने घर को स्वयं तोड़ना शुरू कर दिया और उसकी बल्लियाँ एक-एक करके निकालने लगी|

मेजर ने उस महिला को धन्यवाद दिया और जल्दी-जल्दी नदी पर एक काम चलाऊ पुल तैयार करा लिया| सैनिक दुश्मन का पीछा करते हुए आगे बढ़ गए|

कुछ दिनों के बाद भारतीय जवानों ने कारगिल की चोटियों से घुसपैठियों को खदेड़ दिया| युद्ध समाप्त हुआ| भारतीय जवान युद्ध जीत गए|| मेजर आहूजा उस महिला और बच्चे को भुला न सके| उनका बलिदान सदैव याद किया जाएगा|

कथा सार: घर से बड़ा देश और देशभक्ति की भावना होती है| जिस प्रकार उस भारतीय महिला और उसके बच्चे ने देश की खातिर अपना घर तोड़ डाला| ऐसी ही भावना प्रत्येक देशवासी में होनी चाहिए|

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