मछुआरे ने शिकार खाने की इच्छा जताई और शिकारी का मन मछलियाँ खाने का था। दोनों ने अपना-अपना सामान एक-दूसरे से बदल लिया। अब तो दोनों की ही यह आदत बन गई। हर दिन वे अपना-अपना सामान एक-दूसरे से बदल लेते। एक दिन जब वे दोनों साथ बैठे भोजन कर रहे थे, तभी एक बुद्धिमान व्यक्ति वहाँ आया। उसने दोनों को अपना-अपना भोजन बदलते देखा। कुछ देर सोचने के बाद वह दोनों से बोला, “दोस्तो, अगर तुम लोग हर दिन अपना भोजन आपस में बदलते रहे तो कुछ ही दिनों में तुम्हें इसमें मजा आना बंद हो जाएगा और फिर से अपना भोजन करने का ही मन करने लगेगा। खुशी पाने के लिए कुछ परहेज भी करना चाहिए।”