मैना ने उनसे विनती की, “बारिश होने वाली है। मुझे थोड़ी देर यहीं रुक जाने दो।” । लेकिन कौओं ने उसकी एक न सुनी।
आखिरकार, मैना उड़कर दूसरे पेड़ पर बैठ गई। वहाँ से उसे एक खाली गङ्का मिल गया, जिसमें वह आराम से बैठ गई। कुछ ही देर बाद भारी बारिश होने लगी और बड़े-बड़े ओले गिरने लगे। कई कौए घायल हो गए और कई तो मर भी गए। जब बारिश थमी तो मैना बाहर निकली और अपने घर की तरफ उड़ चली। एक कौए ने उससे पूछा, “अरे, तुम्हें चोट नहीं लगी ?”
“दूसरों पर दया करने वालों की ईश्वर सहायता करता है और तुम्हारे जैसे घमंडियों को कष्ट सहने के लिए छोड़ देता है, मैना ने जवाब दिया।