मंत्री राजा के व्यवहार से बहुत चकित था, लेकिन कुछ विचार करने के बाद उसे समझ में आ गया कि सफाईकर्मी ही इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। मैंने उसका अपमान किया था और उसी का उसने बदला लिया है। अब मुझे उसे दुबारा प्रसन्न करना होगा, तभी वह ( राजा की निगाह में मेरा सम्मान दुबारा दिला सकता है,” मंत्री ने सोचा। एक दिन उसने सफाईकर्मी को अपने घर भोजन पर आने का निमंत्रण दिया और कहा, “मेरे दोस्त, मुझे क्षमा कर दो। मैंने तुम्हारा अपमान किया था। मुझे गलती का अहसास हो गया है। इन सुंदर कपड़ों को उपहार के रूप में ग्रहण करो। चलो, मेरे साथ भोजन करो ।” सफाईकर्मी प्रसन्न हो गया। वह सोचने लगा, “मंत्री तो अच्छा आदमी है। मैंने ही उस दिन गलती कर दी। थी।” अब सफाईकर्मी प्रसन्न था और प्रयास करने लगा कि मंत्री के बारे में राजा की। धारणा बदल जाए। एक बार जब वह राजा के कक्ष में गया तो राजा सो रहा था। वह बड़बड़ाने लगा, “अरे, राजा का तो दासी के साथ प्रेम संबंध है। बड़ी लज्जा । की बात है!” राजा ने उसका बड़बड़ाना सुना तो उठकर बैठ गया। राजा ने सफाईकर्मी को बहुत डाँटा। सफाईकर्मी बोला, “क्षमा कर दें महाराज, मैं पूरी रात सो नहीं पाया। इसलिए दिन में ही नींद में बड़बड़ा रहा था।”
राजा को अपनी गलती समझ में आ । गई। इस तरह की अफवाह के चक्कर में आकर उसने अपने बहुत अच्छे सलाहकार की अनदेखी शुरू कर दी थी। राजा ने मंत्री को बुलाया और दोनों फिर से मित्र बन गए।