एक थी मैना| एक था कौआ| वह था मूरख| एक रोज उसने मैना की चाल चलने का फैसला किया| उस रोज मैना स्नान कर बरगद की शाख पर बैठी| ऊपर देखा तो आंखों में काजल| नीचे देखा तो पांवों में पायल| गड्डे में हाथ डाला तो अंगूठी मिली| कोटर में हाथ डाला तो सोना मिला| रेत में डाला तो मोती मिले| चौपाल पर गई तो बग्घी मिली|
दूसरे रोज कौआ भी स्नान कर बबूल की शाख पर बैठा| लेकिन चोंच में थोड़ा मेला रह गया था| इसलिए ऊपर देखा तो एक आंख फूटी| नीचे देखा तो एक टांग टूटी| गड्डे में हाथ डाला तो बिच्छू ने काटा| कोटर में हाथ डाला तो सांप ने डस लिया| रेत में हाथ डाला तो केकड़े ने झपट्टा मारा| चौपाल पर गया तो उसकी खटिया खड़ी हो गई|