एकांकी बोली, “तुझे नहीं मालूम क्या? अगले सप्ताह विद्यालय में स्वरचित कविता लिखो प्रतियोगीता हो रही है| प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर रहने वाले प्रतियोगियों को वार्षिक समारोह के अवसर पर पुरस्कार दिए जाएंगे|”
“सच में, यह तो बड़ी खुशी का समाचार है| इसका मतलब यह हुआ कि तुम तो अवश्य भाग लोगी| क्योंकि तुम तो वास्तव में कवियत्री हो| तुम्हारी कुछ रचनाएं तो बाल पत्रिकाओं में छपी हैं|” कविता ने हंसते हुए कहा|
एकांकी भी मुस्कुराते हुए बोली, “भाग तो मैं अवश्य लूंगी|
एक सप्ताह बाद विद्यालय में कविता लिखो प्रतियोगिता आयोजित हुई| सभी में उत्साह भरा था| लगभग पचास बच्चों ने कविता प्रतियोगिता में भाग लिया| एकांकी और कविता के साथ-साथ अन्य सहेलियों ने भाग लिया|
प्रतियोगिता समाप्त होने के बाद एकांकी बड़ी उदास दिखाई दे रही थी| कविता ने पूछा, “एकांकी कैसी लिखी कविता तुमने?” “क्या बताऊं कविता…….?” एकांकी उदास स्वर में बोली|
“दरअसल बात यह है कि कल मैंने बिटिया शीर्षक से एक कविता अपनी हिंदी की कॉपी में लिखी थी| सोचा, इसे याद करके मैं प्रतियोगिता में लिखूंगी|” एकांकी की बोलती चुप हो गयी|
“किसी ने मेरी कॉपी से कविता का पन्ना फाड़ लिया| इस कारण मैं उसे याद नहीं कर सकी और आज प्रतियोगिता में नई कविता सोचकर लिखनी पड़ी| यह इतनी अच्छी नहीं थी, जो मैंने पहले लिखी थी|” एकांकी ने कविता को बताया|
कविता उसकी बात सुनकर चुप हो गयी|
चार दिन बाद कविता लिखो प्रतियोगिता का परिणाम घोषित हुआ| नोटिस बोर्ड पर परिणाम देखने के बाद सभी बच्चे कविता को बधाई देने लगे| क्योंकि प्रतियोगिता में कविता ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था जबकि एकांकी दूसरे स्थान पर रही|
एकांकी ने भी कविता को बधाई दी| कविता बड़ी खुश थी कि उसको प्रथम स्थान मिला है और वार्षिक समारोह में उसे पुरस्कृत किया जाएगा|
वार्षिक समारोह के दिन विदयालय में काफी चहल-पहल थी| आज सभी कक्षाओं के योग्य छात्राओं को पुरस्कृत किया जाएगा| इसी कड़ी में एकांकी के विद्यालय में भी कई रंगारंग कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘कविता लिखो प्रतियोगिता’ के विजेताओं को पुरस्कृत किया जाना था|
कविता सुबह से ही बड़ी खुश थी| एकांकी भी खुश थी, किंतु द्वितीय स्थान पर आने का उसे मलाल था| कार्यक्रम प्रारंभ हुआ|विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए| इसी बीच साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान पुरस्कार की बारी आई|
कार्यक्रम का संचालन कर रही हिंदी विषय की अध्यापिका ने घोषणा करते हुए कहा, “हिंदी कविता लिखो प्रतियोगिता’ में प्रथम पुरस्कार कुमारी कविता को दिया जा रहा है और द्वितीय कुमारी एकांकी को| कृपया मंच पर पहुंच कर प्राचार्य जी से पुरस्कार प्राप्त करें|”
कविता और एकांकी बारी-बारी मंच पर पहुंची और प्राचार्य जी के हाथों सम्मान प्राप्त किया|
पुरस्कार देने के पश्चात् प्राचार्य जी ने कहा, “ये दोनों बच्चियां अपनी-अपनी कविता को मंच पर आकर बोलें ताकि हमें पता चले कि पुरस्कार पाने वाली छात्राएं कैसा लिखती हैं?”
प्राचार्य जी की बात सुनकर कविता के पैरों तले जमीन निकल गई| वह खामोश हो गयी| वही उदास मन से मंच पर खड़ी रही, किंतु कविता बोल नहीं सकी| एकांकी ने तुरंत अपनी कविता सुना दी| सभागार तालियों से गूंज उठा| प्राचार्य जी ने कविता से पूछा, “बेटी तुम प्रथम स्थान पर आई हो और कविता पाठ क्यों नहीं कर रही हो| याद नहीं है तो देखकर ही पढ़ो|” यह सुनकर कविता फूट-फूट कर रोने लगी| यह देखकर सभागार में बैठे बाल-बच्चे, गुरूजन व अतिथिगण सब आश्चर्य में पड़ गए| प्राचार्य जी ने कविता के सिर पर हाथ रखते हुए कहा, “बेटी, क्या बात है तुम रो क्यों पड़ी, तुम्हारी तबियत ठीक नहीं हैं?” वह रोती हुई बोली, “नहीं सर तबीयत ठीक है किंतु मैंने बहुत बड़ा अपराध किया|”
“कैसा अपराध बेटी?” प्राचार्य ने तसल्ली से पूछा| “सर, मैंने स्वरचित कविता नहीं लिखी थी बल्कि चुरा कर दूसरे की कविता लिखी थी| इसलिए मैं वह कविता सुना नहीं सकती|” कविता फिर बोलती-बोलती रो पड़ी|
कविता के पास एक-दो अध्यापिकाएं भी आ गई| एकांकी भी वहां पहुंची| कविता ने एकांकी को देखा ओर फिर उसके गले से लिपट गयी और रोने लगी| एकांकी ने पूछा, “क्या हुआ कविता…|” “मैंने तुम्हारी कॉपी में तुम्हारी कविता को चुरा लिया था| उसी कविता के कारण मुझे प्रथम स्थान मिला है जबकि यह सम्मान तुम्हें मिलना चाहिए था| मुझे माफ कर दो एकांकी| मैं ऊंचा नाम करने के लिए यह गलती कर बैठी|” कविता ने अपराध स्वीकार करते हुए कहा|
एकांकी बोली, “ऊंचा नाम तो कविता अब किया है अपनी गलती स्वीकार करके| तुम्हें अपनी गलती का अहसास हो गया, तुम्हारी महानता है| वरना आज कौन इतनी भीड़ में अपने आपको दोषी स्वीकार करता|”
“एकांकी ठीक कह रही है कविता| तुम ने अपराध को स्वीकार कर लिया और एक अच्छी बच्ची की तरह क्षमा मांग की| तुम आज वास्तविक रूप में प्रथम आई हो|” प्राचार्य जी ने उसे पुचकारते हुए कहा|
सभागार में कविता के सम्मान में तालियां गूंजने लगी|