पालतू जानवरों के मामले में भी दोनों की रुचि एकदम अलग थी| अनुज को कुत्ते से प्यार था तो अतुल को बिल्ली से| हालांकि अभी तक घर में पालतू कुत्ता था बिल्ली नहीं थी, लेकिन अपने माता-पिता से दोनों भाई बराबर जिद करते रहते|
माता-पिता को अपने दोनों बेटों से बराबर का प्यार था| कुत्ता या बिल्ली पालकर वे दोनों में से एक का दिल दुखाते| कुत्ता और बिल्ली दोनों को एक साथ पालने में बड़ा झमेला था, इसलिए अब तक बात टलती आ रही थी|
उस दिन अनुज और अतुल के पिता दफ्तर से घर लौटे तो बहुत खुश थे| अनुज और अतुल को बुलाकर बोले, “अब तुम दोनों के लिए पालतू जीव घर आने वाला है|” सुनकर दोनों भाई बहुत खुश हुए| लेकिन, साथ-साथ उन्हें आश्चर्य भी हुआ| ‘क्या पापा ने कुत्ता और बिल्ली दोनों को ही घर लाने का फैसला किया है?’ दोनों ने सोचा|
उनके मन की बात ताड़कर पापा बोले, “घबराओ नहीं कल तुम्हारे अम्रीका वाले मृदुल चाचा यहां आ रहे हैं| साथ में तुम्हारे लिए टू-इन-वन पालतू जीव भी ला रहे हैं|”
सुनकर अनुज और अतुल दोनों को बड़ी उलझन हुई| टू-इन-वन के नाम पर उन्होंने घर में पुराने पड़े रेडियो और टेपरिकोडर के बारे में तो जरुर सुना था, लेकिन टू-इन-वन पालतू जीव का क्या मतलब हुआ, यह उनकी समझ में नहीं आ रहा था| उनके मन की बात पढ़कर पापा बोले, “टू-इन-वन की उलझन में फंसे हो? कल अपने चाचाजी से ही सारी जानकारी ले लेना|”
अगले रोज अमरीका से मृदुल चाचा आ पहुंचे| उन्हें देखकर दोनों भाई बहुत खुश हुए| उनके हाथ में एक प्यारी, सुंदर सी बिल्ली थी जिसके गले में लाल रंग का फीता बंधा था| देखकर अनुज का दिल बैठ गया| उसे मायूस देखकर मृदुल चाचा बोले, “क्यों अनुज, तुम खुश नहीं हुए| जानता हूं तुम्हें कुत्ते से प्यार है जबकि अतुल बिल्ली से| तभी तो यह टू-इन-वन पालतू जीव लाया हूं| इस वक्त यह जीव बिल्ली जैसा दिखता है, लकिन जैसे-जैसे यह जीव बड़ा होता जाएगा इसमें कुत्ते का स्वभाव आता जाएगा|”
अनुज ने पूछा, “लेकिन चाचाजी, यह कैसे संभव है? जरा समझा कर बताइए|” जवाब में मृदुल चाचा बोले, “आनुवंशिक इंजीनियरी, जैसे ‘जेनेटिक इंजीनियरिंग’ कुत्ते और बिल्ली दोनों के ही वंशाणु यानी ‘जीन’ हैं| बिल्ली के जीन के कारण यह पालतू जीव देखने में बिल्ली की तरह है, लेकिन इसकी आदतें कुत्ते की तरह हैं| बड़े होने पर इस जीव की ये आदतें एकदम खुले तौर पर सामने आ जाएंगी|”
कुछ दिन उनके साथ बिताकर मृदुल चाचा अमरीका लौट गए| अब समस्या आई उस जीव के नामकरण को लेकर| अनुज उस पालतू जीव का नाम रॉकी रखना चाहता था और अतुल किट्टी| खैर, आपस में समझौता कर किटलू नाम तय हुआ| पर अब भी अनुज के मन में एक डर था| मृदुल चाचा के बताए अनुसार उम्र बढ़ते जाने पर जीव में कुत्ते के लक्षण नजर आने लगेंगे| लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो?
किटलू नामक जीव ने सभी का दिल जीत लिया था| वह दूध पीता और देर तक सोता रहता| बिल्ली की तरह वह ‘म्याऊं’, म्याऊं’ करता हालांकि सभी की तरह अनुज भी किटलू से प्यार करता पर उसके मन में हमेशा खटका लगा रहता कि अगर बड़े होने पर किटलू ने कुत्ते की तरह व्यवहार न किया तो क्या होगा?
लेकिन किटलू नामक वह जीव बड़ा ही वफादार और आज्ञाकारी था| वह चुपके से रसोई में घुसकर बिल्ली की तरह चोरी भी नहीं करता था| बाहर बगीचे में वह कुत्तों की तरह ही भाग-भाग कर गेंद से खेलना पसंद करता| खुश होने पर वह कुत्ते की तरह अपनी पूंछ भी हिलाता| गली के कुत्ते उसे देख खूब भोंकते पर उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था|
किटलू नामक वह जीव धीरे-धीरे बड़ा होने लगा| अनुज को तब आश्चर्य हुआ जब एक दिन उसने किटलू को कुत्ते की तरह भौंकते सुना| आस-पास के लोगों को बड़ा अजीब लगता जब वे एक बिल्ली जैसे दिखने वाले जीव को कुत्ते की तरह भौंकता देखते|
अनुज की कक्षा में उसके साथ कैलाश भी पढ़ता था| वैसे तो कैलाश अच्छे और खानदानी परिवार से था, लेकिन उसे चोरी करनी की बुरी आदत लग गई थी| वह मौका देखकर घरों में घुसकर चोरी कर लेता|
एक दिन दोनों भाई अपने माता-पिता के साथ किसी शादी के निमंत्रण में गए हुए थे| किटलू को वे पिछवाड़े के आंगन में बंधा छोड़ गए थे| कैलाश को जैसे खबर हुई कि घर में कोई नहीं है तो वह मौका देखकर चुपचाप पिछवाड़े में कूद पड़ा| उसका इरादा घर में चोरी करने का था| किटलू को देखकर वह थोड़ा झिझका| लेकिन, फिर सोचा कि एक बिल्ली भला उसका क्या बिगाड़ लेगी| गलती से पिछले कमरे का दरवाजा खुला रह गया था|
कैलाश खुले दरवाजे से अंदर घुसना चाहता ही था कि अचानक जोर से भौंकते हुए किटलू ने उसकी टांग पकड़ ली| कैलाश डरकर भागने लगा तो वह जीव उस पर टूट पड़ा| उसके कपड़े फाड़कर उसे बुरी तरह से जख्मी कर दिया| किसी तरह अपनी जान बचाकर कैलाश सिर पर पांव रखकर भागा|
जब अपने माता-पिता के साथ अनुज और अतुल घर लौटे तो उन्हें किटलू की जंजीर उन्हें टूटी मिली| पिछले कमरे का दरवाजा खुला देखकर उनका माथा ठनका| लेकिन जब किटलू ने कमरे से निकल कर उनका स्वागत किया तो उनकी समझ में सब कुछ आ गया| घर का सभी सामन सही सलामत पाकर उनकी जान में जान आई|
लेकिन, थोड़ी ही देर में कैलाश के पिता कैलाश को लेकर वहां हाजिर हो गए| किटलू ने कैलाश को बुरी तरह से काटकर उसे जख्मी कर दिया था, इसी की शिकायत लेकर वह आए थे| कैलाश ने अपने पिता को असलियत नहीं बताई थी| बस यह बताया था कि वह वहां से गुजर रहा था कि तभी किटलू ने उसे काट खाया था|
इस बीच आस-पड़ोस के लोग भी वहां जमा हो गए थे जो कैलाश की आदतों से भली-भांति परिचित थे| कैलाश के पिता पर जब कैलाश की असलियत खुली तो वह बड़े शर्मिंदा हुए| अनुज और अतुल के पिता से वह माफी मांगने लगे|
इस घटना का असर यह हुआ कि कैलाश को अपनी गलती का अहसास हुआ| उसने कान पकड़कर अपने पिता से माफी मांगी और यह प्रण किया कि वह आगे से कभी भी चोरी नहीं करेगा|
कैलाश के सुधरने के पीछे किटलू का बहुत बड़ा हाथ था| अनुज तो किटलू पर वारि-वारि जाने लगा| उसने उसका दिल जीत लिया था| लेकिन, आगे के लिए एक सावधानी भी जरूरी थी| दोनों भाइयों ने अपने माता-पिता के साथ मिलकर एक फैसला किया| घर के बाहर एक बोर्ड टांग दिया गया जिसमें लिखा था – इस घर की बिल्ली से डरकर रहें| यह बिल्ली नहीं कुत्ता है|
लोग-बाग उनके घर के सामने से गुजरते तो इस बोर्ड को पढ़कर वे आश्चर्य से भर उठते|