कंजूस पिता - Miser Father

कंजूस पिता

सोलह वर्षीय लड़के मकुंडली को पीलिया की बीमारी हो गई। उसका पिता बहुत कंजूस था। वह पैसे खर्च होने के डर से अपने बेटे को वैद्य के पास नहीं ले गया और घर पर स्वयं ही उसका उपचार करने का प्रयास करता रहा। लड़के की हालत बिगड़ती गई।

बुद्ध ने लड़के की दयनीय हालत देखी तो उन्हें बहुत दुख हुआ। वे आए और रोगी के बिस्तर के पास बैठ गए। उन्होंने लड़के को कुछ सुंदर धार्मिक उपदेश सुनाए। जीवन के अपने अंतिम पलों में उस लड़के के मन में बुद्ध के उपदेशों के प्रति गहरा विश्वास जग गया। थोड़ी देर बाद उसकी मौत हो गई। अब शोक संतप्त पिता अपने बेटे की चितास्थली पर जाकर रोने । लगा। इसे देखकर देवताओं के राजा सक्क उसके सामने प्रकट हुए और उससे कहने लगे कि तुम्हारी कंजूसी की वजह से ही तुम्हारे बेटे की जान गई है। उसके बाद से कंजूस पिता ने कंजूसी छोड़ दी और अपने पापों का प्रायश्चित्त करने के लिए बुद्ध के उपदेशों का पालन करने लगा।

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