“शादी करूँगा तो रजनी से, नहीं तो कँवारा ही मर जाऊँगा| शादियाँ रोज़ थोड़े ही होती हैं| जब एक बार शादी करनी है तो रजनी से ही क्यों न की जाए?”
सब ओर रजनी की सुन्दरता के चर्चे थे| जब रजनी जवान हो गई तो उसके पिता ने अपनी बेटी के स्वयंवर की घोषणा कर दी| इस घोषणा से चारों ओर के राज्यों में हलचल मच गई| रजनी से शादी करने के लिए सभी दीवानें हो रहे थे| स्वयंवर की घोषणा के साथ ही सब के सब राजे-महाराजे, बूढ़े, जवान सब उम्मीदें लेकर आए|
स्वयंवर का दिन आया| सब लोग राजा विजेन्द्र सिंह के दरबार में सज-धज कर बैठ गए| इस आशा को मन में लिए कि राजकुमारी उसके गले में वरमाला डाल देगी| सबके मन में आशाओं के फूल खिल रहे थे| जब लोगों की नज़रें उस द्वार पर लगी हुई थी जिस मार्ग से राजकुमारी आने वाली थी|
एक लम्बे इन्तज़ार के पश्चात राजकुमारी रजनी जैसे ही उस द्वार से बाहर निकली तो उन्हें ऐसा लगा जैसे आकाश का चाँद धरती पर उतर आया हो मानों हज़ारों फूल एक साथ खिल उठे हों| सब के सब चुस्त होकर अपने वस्त्रों को ठीक करने लगे थे| राजकुमारी स्टेज पर आकर खड़ी हो गई|
“सुन्दर! अति सुन्दर!”
ऐसी सुन्दर राजकुमारी तो कहीं परियों के देश में ही होती होगी| इन्हें देखकर तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे इन्द्र देव् की कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो| उर्वशी, रजनी, नहीं यह तो अप्सरा उर्वशी ही हैं अथवा उसकी बहन होगीं|
रजनी ने चारों ओर बैठे राजकुमारों की ओर देखा और फिर बड़े सुरीले स्वर में बोली – “मैं जानती हूँ कि आप सब लोग मुझसे शादी की आशाएँ लेकर आए होंगे| आप सब यही सोच रहे होंगे कि हमारे गले में जयमाला डलेगी| जिसके गले में यह जयमाला डाली जाएगी वैसे ही वह मेरा पति बन जाएगा| जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होगा| आज स्वयंवर नहीं होगा|”
“तो क्या होगा?” सब राजकुमार एक साथ बोल पड़े|
“देखो राजकुमारों! आप सब बड़े वीर योद्धा और देश के वफादार भी हो| आपमें से किसी न किसी को तो मेरा पति बनना है| इसके लिए आपको मेरी एक शर्त का पालन करना होगा|”
“कौन सी शर्त है आपकी? ज़रा जल्दी से बता दो|”
“मित्रों! मेरे पास यह एक अनमोल हीरा है उसके साथ का दूसरा हीरा यदि आप में से कोई भी राजकुमार तलाश करके लाएगा| बस मैं उसी से विवाह कर लूँगी|”
“यह क्या शर्त हुई?” सब राजकुमार सोच में डूब गए|