एक पुरोहित था| उसके पड़ोस में एक नाई रहता था| नाई को एक विचित्र आदत थी| जो पुरोहित करे, वह भी करता था| Read more about नकल बिन अकल …
एक पुरोहित था| उसके पड़ोस में एक नाई रहता था| नाई को एक विचित्र आदत थी| जो पुरोहित करे, वह भी करता था| Read more about नकल बिन अकल …
एक थी बुढ़िया| उसका एक बेटा था| एक रोज उसने बुढ़िया से कहा, ‘मां मैं धन कमाने दुबई जाऊं?’ बुढ़िया बोली, ‘बेटा तुम चले जाओगे तो में अकेली हो जाऊंगी| Read more about बंदरिया खाए सिवइयां …
एक थे शायर| नाम था झंडेलाल जानी| उनकी बीवी का बैंगन बहुत पसंद थे| एक रोज उसने अपने मियां को पुकारा, ‘जानी रे जानी|’ Read more about शायर का भुर्ता …
एक था तोता| नाम था गंगाराम| जैसा नाम था, वैसा ही निर्मल उसका मन था| एक रोज उसकी मां ने कहा, ‘बेटा, समय बुरा चल रहा है| Read more about गंगाराम और मंगाराम …
एक थी चिड़िया| एक रोज वह राजमहल पहुंची| वहां उसे एक गुड्डा मिला| वह खुश होकर ठुमक-ठुमक नाचने लगी, गाने लगी: Read more about गाती चिड़िया …
एक थी मैना| एक था कौआ| वह था मूरख| एक रोज उसने मैना की चाल चलने का फैसला किया| उस रोज मैना स्नान कर बरगद की शाख पर बैठी| Read more about कौआ चला मैना की चाल …
बरामदे में धनेश की कां-कां से मैं जाग गया, जिससे दादाजी को पता लग गया कि नाश्ते का समय हो गया है| मैं बिस्तर पर पड़ा खुले आसमान की ओर ताक रहा था| Read more about एक लंबी दौड़ …
यह कहानी हमारे पालतू गिरगिट हेनरी की है| Read more about एक गिरगिट हेनरी …
सर्दियों की एक शाम को उत्तरी भारत के देहरादून वाले अपने घर के आंगन की सीढ़ियों पर मैंने और मेरे दादाजी ने चित्तीदार उल्लू के एक बच्चे को देखा| Read more about परिवार में उल्लू …
एक दिन दादाजी तांगे वाले से पांच रुपये में टोटो को खरीदकर ले आये| तांगे वाला इस छोटे लाल बंदर को टट्टू के चारे-पानी की हौद से बांधकर रखता था| Read more about टोटो के कारनामे …