ब्लैकी भालू ने उसे समझाने की कोशिश की| वह बोला, “देखो शेरू, यह साइकिल रेस है| इस रेस में किसी भी सूरत में बाइक को तो शामिल नहीं किया जा सकता है|”
“क्यों नहीं?” शेरू ताव में बोला, “मैं तो रेस में बाइक से ही भाग लूंगा, नहीं तो मैं यह रेस ही नहीं होने दूंगा|”
“अरे शेरू, “ब्लैकी बोला, “भला साइकिल एक बाइक से कैसे मुकाबला कर सकती है? हां, अगर तुम चाहो तो इस रेस में साइकिल के साथ शामिल हो सकते हो|”
“तुम्हें समझ में नहीं आता है,” शेरू बिगड़ गया, “मैं शेरसिंह का बेटा हूं, सारे जंगल में उन की चाहती है, किस में इतना साहस है जो हमें इस रेस में शामिल होने से रोक सके|”
चिंपू चिंपैजी यह सब सुन रहा था| वह बहुत समझदार था| वह आगे बढ़ कर बोला, “ठीक है, तुम इस रेस में शामिल होना चाहते हो, तो ऐसा ही सही|”
फिर वह मुड़ कर साथियों से बोला, “हमें शेरू की बात मान लेनी चाहिए, इस में कुछ हर्ज नहीं| शेरू को शौक भी पूरा हो जाएगा और हम सब साइकिल रेस का मजा भी ले लेंगे|”
चिंपू के विपक्ष में छतरू था| अभी तक हर रेस में वही जीतता आया था| इस बार भी वह अपनी जीत तय मान रहा था| उसे लगा कि शायद चिंपू अपनी हार की शर्मिंदगी से बचने के लिए शेरू को इस रेस में शामिल करवा रहा है| यह छतरू को सहन नहीं हुआ|
वह तमक कर बोला, “नहीं जी, चाहे शेरसिंह ही ना जाएं, लेकिन इस रेस में साइकिल सवार ही शामिल होगा, नियम तो नियम है|”
अब मामला पेचीदा हो गया| इधर चिपू और छतरू आपस में उलझ रहे थे| उधर शेरू अपनी बाइक पर आराम से बैठा मजे ले रहा था|
यह देख कर चीकू खरगोश से नहीं रहा गया|
चीकू ने कुछ सोचा| फिर वह छतरू को अलग ले गया| उस से कुछ बात की और वापस आ कर उस ने ऐलान कर दिया, “रेस होगी और शेरू इस रेस में अपनी बाइक के साथ ही शामिल होगा|”
फैसला हो गया और रेस शुरू हो गई|
तब ब्लैकी ने चीकू से पूछा, “यह समस्या हल कैसे हुई?”
टीनू बोला, दरअसल, मैं ने छतरू को यह समझाया कि हारजीत का फैसला तो साइकिल रेस से ही होगा| शेरू को बाइक दौड़ानी है, तो दौड़ा ले| शेरू भी खुश हो जाएगा और अपना मकसद भी पूरा हो जाएगा|”
उधर साइकिल रेसर में होड़ लगी थी| कभी चिंपू, तो कभी छतरू आगे निकल जाता| लेकिन उन की मुसीबतें तब बढ़ने लगीं, जब शेरू उन्हें तंग करने लगा|
कभी वह अपनी बाइक तेजी से फर्राटा भरते हुए आगे ले जाता तो कभी पीछे मोड़ कर साइकिल रेसर की नाक में दम कर देता था|
यही नहीं, शेरू अपनी बाइक को साइकिल रेसर के बीच में से निकाल कर उन्हें डराता और जोरजोर से होर्न ब्रज कर उन बैलेंस बिगाड़ देता|
उस की इस हरकत से कुछ साइकिल सवार गिर भी पड़े और उन्हें चोटें भी आ गई|
“ऐसा मत करो,” चिंपू चिल्लाया|
लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ| वह चिंपू को भी छकाने लगा|
साइकिल सवारों को साइकिल दौड़ाना दूभर हो रहा था|
अचानक शेरू की बाइक एक पत्थर से टकराई और हवा में लहराते हुए नीचे खाई में जा गिरी, जबकि शेरू उछल कर रोड पर जा गिरा|
शेरू का सिर फट गया| वह दर्द से चीखने लगा|
“अब आया मजा|” छतरू खुशी से चिल्लाया और अपने साथियों से बोला, “अब इसे यहीं पड़ा रहने दो| चलो, हम चलें|”
लेकिन चिंपू से न रहा गया| वह अपनी साइकिल रोक कर उतर गया| बाकी सब अपनी-अपनी साइकिलें दौड़ते हुए आगे निकल गए|
चिंपू शेरू के पास पहुंचा| उसे सहारा दिया फिर उस का उपचार करने लगा|
अब छतरू का किसी से मुकाबला नहीं था| उस ने सब को पीछे छोड़ दिया और सब से पहले पहुंच कर अपनी जीत दर्ज करवा दी|
“लो, इस बार भी छतरू विजेता हुआ|” ब्लैकी ने घोषणा की|
“लेकिन चिंपू कहां रह गया?” चीकू ने पूछा, “और शेरू का भी कुछ पता नहीं है|”
इस सवाल पर सब खामोश हो गए|
“पहले वे दोनों भी यहां आ गए|” चीकू ने ब्लैकी को सलाह देते हुए कहा, “तभी विजेता को पुरस्कार दिया जाए|”
काफी इंतजार के बाद चिंपू और शेरू, शेरसिंह के साथ वहां पहुंचे|
“अरे,” ब्लैकी ने घायल शेरू को देखा, “शेरू को चोट कैसे लगी?”
“सारी गलती मेरे बेटे की है|” शेरसिंह ने कहा, “जिस की इसे सजा भी मिल गई|”
उस के बाद चिंपू ने वहां मौजूद सभी जानवरों को सारी घटना विस्तार से बताई|
“अब आप इस मौके पर यहां आ ही गए हैं|” ब्लैकी शेरसिंह से अनुरोध करते हुए बोला, “तो क्यों न आप ही रेस के विजेता छतरू को शील्ड अपने हाथों से दें|”
शेरसिंह मुस्कराए, उन्होंने ने शील्ड अपने हाथों ली और ऊंचे स्वर में बोले, “आज का असली विजेता छतरू नहीं चिंपू है, उस ने रेस के साथसाथ मानवता का फर्ज भी निभाया| वाही इस जीत का हकदार है|”
इतना कह कर शेरसिंह ने शील्ड चिंपू को दे दी| सब ने खुशी से तालियां बजाईं|
अब छतरू को भी लगा कि उस ने घायल शेरू की मदद न कर के गलती की और वास्तव में आज का असली विजेता चिंपू ही है|