स्कॉलर बैज़ - Scholar Badge

स्कॉलर बैज़ – Scholar Badge

एक शहर में एक परिवार रहता था| उस परिवार में चार सदस्य थे, माता-पिता तथा उनके दो बच्चे, अनमोल और प्रिया| अनमोल बड़ा था और प्रिया छोटी| दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे| अनमोल बुद्धिमान था| उसे हर साल स्कॉलर बैज़ मिलता था| घर और स्कूल में सभी की प्रशंसा का पात्र अनमोल ही था| प्रिया को कभी भी स्कॉलर बैज़ नहीं मिला था, क्योंकि उसका मन कभी भी पढ़ाई में नहीं लगता था| पढ़ाई के समय भी वह खेलकूद में ही लगी रहती थी|

एक दिन जब अनमोल पढ़ रहा था तब उसने सोचा कि वह तो आसानी से पास हो ही जाएगा| यह सोचकर वह उठा और प्रिया के कमरे में चला गया| वहाँ जाकर प्रिया को तंग करने लगा| तभी प्रिया ने ज़ोर से कहा “हट जाओ यहाँ से, मुझे पढ़ने दो और खुद भी जाकर पढ़ाई करो|”

“अरे! मुझे पढ़ने की क्या जरूरत है? मुझे पता है, इस बार भी स्कॉलर बैज़ मुझे ही मिलेगा, तुम्हें नहीं|” अनमोल घमंड से बोला|

अनमोल की घमंड भरी बातें प्रिया के दिल को छू गईं| उसने रात-दिन मेहनत करके बैज़ जीतने का निश्चय कर लिया| एक तरफ तो प्रिया मेहनत करने लगी और दूसरी तरफ अनमोल कागज़ के हवाई जहाज़ बनाकर उड़ाने लगा| वह सोचता कि जैसे पीछले सालों में उसे स्कॉलर बैज़ मिले थे, उसी तरह इस बार भी मिल जाएँगे| वह निश्चिंत होकर हर रोज़ शाम को तीन-चार घंटे खेलता और घर वापस आकर थोड़ा पढ़ता, फिर खाना खाकर सो जाता|

कुछ दिनों बाद वार्षिक परीक्षा का समय भी आ गया| इस बार प्रिया पूरी तैयारी के साथ परीक्षा में बैठी थी|

दूसरी तरफ अनमोल बहुत चिंतित था क्योंकि उसे कुछ भी याद न था| प्रश्न-पत्र के कई प्रश्नों के उत्तर उसे आते ही नहीं थे|

परीक्षाएँ समाप्त हुईं| परीक्षा का परिणाम घोषित करने के बाद स्कॉलर बैज़ प्रदान करने के लिए कार्यक्रम शुरू हुआ| सब बच्चे, यह जानने के लिए उत्सुक थे कि स्कॉलर बैज़ किसे मिलेगा? सबकी निगाहें अनमोल पर टिकीं थीं, पर जैसे ही प्रिया गौड़ का नाम आया, तो उद्घोषक के मुहँ से अनमोल गौड़ निकल गया| आधा नाम बोलते ही वे रुक गए| उन्होंने भूल सुधार करके प्रिया गौड़ का नाम घोषित किया| प्रिया ने मंच पर आकर स्कॉलर बैज़ प्राप्त किया| अनमोल आँसू-भरी आँखों से यह सब देख रहा था| वह आज पछता रहा था| पर ‘अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत|’

प्रिया की खुशी का ठिकाना न था क्योंकि उसे जीत मिली थी और अनमोल को हार| अनमोल घर आकर बहुत रोया| माँ ने दोनों को बुलाकर समझाया, “रोओ मत, बेटा! अबकी बार खूब मेहनत से पढ़ाई करना ताकि तुम्हारा स्कॉलर बैज़ तुम्हें फिर से मिल सके, क्योंकि मेहनत से ही सफलता मिलती है|”

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