बातूनी कछुआ - The Talkative Tortoise

बातूनी कछुआ – The Talkative Tortoise

एक समय की बात है, किसी नदी में संकट और विकट नाम के दो हंस कम्बुग्रीव नामक कछुए के साथ रहते थे। तीनों अच्छे मित्र थे। एक बार उस क्षेत्र में अकाल पड़ गया और जल के सभी स्त्रोत नदियां, झीलें तथा तालाब आदि सूख गए। पक्षियों तथा जानवरों के पीने के लिए पानी की एक बूंद भी न बची। वे बेचारे प्यास के मारे दम तोड़ने लगे।

नदी में रहने वाले उपरोक्न तीनों मित्र आपस में बातें करते हुए इस समस्या के समाधान का प्रयास करने के चक्कर में पानी की खोज में लगे रहते। लेकिन अथक प्रयासों के बावजूद उन्हें आसपास कहीं पानी कोई अन्य रास्ता न देख तीनों मित्रों ने तय किया कि दूर स्थित कोई ऐसा जलस्त्रोत खोजा जाए, जो हमेशा पानी से भरा रहता हो और जहाँ आराम से निवास किया जा सके। लेकिन दूर कहीं जाने के रास्ते में एक समस्या थी। हंस तो आराम से उड़कर वहां जा सकते थे, लेकिन कछुए के लिए इतनी दूरी चलकर तय कर पाना कठिन था। तभी कछुए के दिमाग में एक विचार आया। वह बोला, क्यों न मैं एक लम्बी लकड़ी ले आऊं उस लकड़ी के दोनों सिरे तुम अपनी चोचों में दबा लेना और मैं बीच के हिस्से को पकड़कर लटक जाऊंगा। इस तरह मैं भी तुम्हारे साथ उड़ सकूँगा।

दरअसल उन तीनों को साथ रहते काफी समय हो चुका था। साथ ही कछुए के दिमाग में यह विचार भी था कि यदि हंस चले गए तो वह अकेले बिना पानी के यहाँ कैसे रह पाएगा।

कछुए का यह विचार सुनकर हंसों ने उसे कहा “मित्र तुम्हारा विचार अच्छा है। हम वैसा कर सकते हैं, जैसा तुम कह रहे हो। लेकिन तुम्हें सावधान रहना होगा। तुम्हारे साथ समस्या यह है कि तुम बेहद बातूनी हो। जब हम आकाश में उड़ रहे होंगे और तब तुमने कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला तो निश्चय ही नीचे गिरकर तुम्हारे पुर्जे बिखर जाएंगे। इसलिए उस समय बिल्कुल मत बोलना, जब तुम मुंह में लकड़ी पकड़े हमारे साथ उड़ रहे होंगे।”

हंसो के कहने की गांभीरता को कछुआ समझ गया और उड़ते समय उसने कुछ न बोलने की कसम खाई। अब हंसों ने लकड़ी के दोनों सिरे चौंच में दबाए, कछुआ बीच से लकड़ी मुंह से पकड़कर लटक गया। हंस उड़ चले पानी की तलाश न जाने उन्हें कहाँ से कहाँ ले जाने वाली थी। सभी कुछ वैसा ही चल रहा था, जैसा उन्होंने तय किया था| वे नदी घाटी, गांव, जंगल, मैदान पार करते हुए एक शहर के ऊपर आ पहुंचे। जब वे शहर के ऊपर से उड़ रहे थे तो बहुत से स्त्री-पुरुष व बच्चे इस अद्भुत दृश्य को देखने घरों से बाहर निकल आए| बच्चे ताली बजा-बजा कर चिल्लाने लगे|

बातूनी कछुआ यह देख भूल गया कि वह हवा में मुंह से लकड़ी पकड़े लटका हुआ है। वह शोर व तालियों का कारण जानने को उत्सुक था। उसने अपने दोस्तों से यह पूछने के लिए मुंह खोला तो लकड़ी उसकी पकड़ से छूट गई और जमीन पर गिरकर उसने दम तोड़ दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *