अंगूर काफी ऊंचाई पर लगे थे। लोमड़ी ने छलाँग लगाकर अंगूर तोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह उन तक नहीं पहुँच पाई। वह छलाँग लगा-लगाकर अंगूर तोड़ने की कोशिश करती रही, लेकिन उसे सफलता । नहीं मिली।
जब वह प्रयास कर-करके थक गई तो उसे समझ में आ गया कि अब और प्रयास करना बेकार है। वह अपने आप से बोली, “अरे! मुझे नहीं चाहिए ये अंगूर ये तो खट्टे हैं।” लोमड़ी का व्यवहार यह दिखाता है कि जब किसी को कोई चीज नहीं मिलती, तो वह उसमें कमियाँ निकालने लगता है।