एक शेर, एक लोमड़ी और एक गधा शिकार के लिए निकले। जब वे जंगल में घूम रहे थे, तो उन्हें एक बारहसिंघा मिला। तीनों ने मिलकर बारहसिंघे का पीछा किया और उसे मार डाला। अब तीनों ने उसे आपस में बाँटने का निश्चय किया। गधा आगे आया और उसने बारहसिंघे के माँस को तीन हिस्सों में बाँट दिया। शेर कुछ नाराज हुआ क्योंकि वह सबसे बड़ा हिस्सा चाहता था। वह गधे पर झपटा और उसे वहीं मार डाला। शेर ने अब लोमड़ी से माँस बाँटने को कहा। लोमड़ी बहुत बुद्धिमान थी। उसने माँस की सारी बोटियाँ इकट्ठी कीं और उसमें से कुछ अपने लिए अलग रख लीं। शेर बहुत प्रसन्न हुआ। उसने लोमड़ी से पूछा, “तुम्हें हिस्से बाँटने की कला किसने सिखाई ?”
लोमड़ी हँसते हुए बोली, “महाराज, इस गधे के भाग्य ने!” स्वयं गलती करके सीखने के बजाय दूसरों की गलतियों से सीखना बेहतर होता है।