कुछ समय बाद वह टूटा फर्श चूहों का आश्रय स्थल बन गया| इतने बड़े महल को पाकर वे बहुत खुश थे| उन्हें वहाँ कोई रोक-टोक नहीं थी| वे पूरा दिन खाते, पीते और मस्ती करते| ऋतु बदली और गर्मियों के दिन आए| जानवर दूर दूर से अपनी प्यास बुझाने पास के सरोवर में आने लगे|
एक दिन अचानक धरती जोर-जोर से हिलने लगी और चूहे विचलित हो गए| उन्हें लगा जैसे महल की छत ही उनके ऊपर गिर पड़ेगी| चूहों का नेता अचानक धरती के इस प्रकार हिलने का कारण जानने के लिए अपने बिल से बाहर निकला| उसने देखा कि हाथियों का एक झुंड सरोवर के पास पानी पीने आया था| वह झुंड रोज दोपहर आने लगा और रास्ते में उनके पैरों के नीचे आकर बहुत से चूहे कुचले जाने लगे| इस विपदा से सभी चूहे उदास रहने लगे| इस समस्या पर विचार-विमर्श करने के लिए बैठक बुलाई गई|
चूहों के नेता ने निश्चय किया कि अब वह समय आ गया था जब हाथियों के झुंड के राजा से बात की जाए|
चूहों का नेता हाथियों के राजा से बोला, “सुनो भाई!” हाथी राजा ने इधर उधर देखा तो एक छोटा सा चूहा कुछ कह रहा था| हाथी बोला, “क्या बात है, बोलो” राजा चूहा बोला” हम लोग इस टूटे महल में बहुत समय से रह रहे हैं, जब आप इस रास्ते से हो कर जाते हैं तो हमारे परिवाजन आपके पैरों तले कुचले जाते हैं| यदि आप अपना रास्ता बदले लें, तो हमारा जीवन सुरक्षित बच सकता है|”
हाथियों ने उनकी बातें ध्यान से सुनी और वे तुरंत राजी हो गए| उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया|
कुछ दिनों के बाद जंगल में शिकारियों ने हाथियों के उस झुंड को पकड़ कर रस्सियों से बाँध दिया, परंतु एक छोटा हाथी का बच्चा बच निकला| वह तुरंत चूहों के पास मदद के लिए गया| सुनते ही सारे चूहे तुरंत जंगल में आ गए और अपने पैने दाँतों से हाथियों की रस्सियाँ कुतर कर काट दी| हाथी अब पुन: आजाद हो गए थे| उन्होंने चूहों को धनयवाद दिया| सच्ची मित्रता का अर्थ अब उनकी समझ में आ गया था|
कथा सार: सदा सच्चे मित्र बनाने चाहिए|