एक दुष्ट मेंढक ने एक चूहे से दोस्ती कर ली। एक दिन दोनों यात्रा पर निकल पड़े। रास्ते में उन्हें एक तालाब मिला। चूहे को पानी में जाने से डर लग रहा था लेकिन मेंढक ने कहा कि वह तालाब पार करने में चूहे की सहायता करेगा। उसने चूहे की टाँगें अपनी टाँगों से बाँध ली और पानी में कूद पड़ा। जब मेंढक तालाब के बीच गहरे पानी में पहुँचा तो वह चूहे को पानी में नीचे खींचने लगा। चूहे ने अपने को छुड़ाने की बहुत कोशिश की और उनकी खींचतान से पानी में काफी हलचल होने लगी। हलचल देखकर तालाब के ऊपर उड़ रहे एक बाज वहाँ आ गया। वह नीचे आया और चूहे को अपने पंजे में दाबकर उड़ गया। धोखेबाज मेंढक की टाँगें भी उसकी टाँगों के साथ बँधी थी, इसलिए वह भी चपेट में आ गया और चूहे के साथ वह भी बाज की पकड़ में आ गया।
जो दूसरों को हानि पहुँचाने का प्रयास करते हैं, वे स्वयं भी अपने ही कार्यों से हानि उठाते हैं।