एक दिन शाम को कुछ मछुआरे नदी से मछलियाँ पकड़कर घर जा रहे थे| उस दिन उनके जालों में बहुत कम मछलियाँ फँसी थीं| अत: उन मछुआरों के चेहरे उदास थे| इसी बीच झाड़ियों के ऊपर मछलीखोर पक्षियों का एक झुंड दिखाई दिया| सबकी चोंचों में मछलियाँ थीं| यह दृश्य देखकर वे चौंक उठे| एक मछुआरे ने कहा, “लगता है, झाड़ियों के पीछे कोई तालाब है, जिसमें बहुत-सी मछलियाँ हैं|” मछुआरे खुश होकर झाड़ियों के रास्ते तालाब के किनारे पहुँच गए और ललचाई नज़रों से मछलियों को देखने लगे|
“अरे! इस तालाब में तो मछलियाँ भरी पड़ी हैं| आज तक हमें इसका पता ही नहीं था|” पहला मछुआरा बोला|
“यहाँ हमें ढेर सारी मछलियाँ मिलेंगी” दूसरा बोला|
तीसरे ने कहा, “आज तो शाम घिरने वाली है, कल सुबह आकर ही यहाँ जाल बिछाएंगे|”
मछुआरे दुसरे दिन आने की बात तय करके चले गए| टीना, मीना और रीना नाम की तीनों मछलियों ने मछुआरों की सारी बातें सुन ली थी|
टीना मछली ने कहा, “साथियों! हमने मछुआरों की बातें सुन ली हैं, अब हमारा यहाँ रहना ख़तरे से खाली नहीं है| समय रहते हमें अपनी जान बचाने का उपाय सोचना चाहिए| मैं तो इसी समय तालाब को छोड़कर नहर के रास्ते नदी में जा रही हूँ|”
मीना मछली बोली, “तुम्हें जाना है तो जाओ, मैं तो नहीं जा रही| अभी ख़तरा आया कहाँ है, जो इतना घबरा रही हो? हो सकता है, मछुआरों का यहाँ आने का विचार ही न बने, रात को उनके जाल चूहे कुतर जाएँ, उनकी बस्ती में आग लग जाए, भूचाल से उनका गाँव ही नष्ट हो जाए या मूसलाधार वर्षा के कारण उनके घर ही बह जाए| यह भी हो सकता है कि मैं उनके जाल में ही न फसूँ, उनका आना अभी निश्चित नहीं है| जब वे आएँगे, तब देखा जाएगा|”
रीना मछली बोली, “भागने से कुछ नहीं होगा| मछुआरों को अगर आना होगा, तो वे आएँगे ही, हमें जाल में फँसना है, तो हम फँसेंगे ही, किस्मत में मरना ही लिखा है, तो क्या किया जा सकता है?” मीना और रीना मछलियाँ तालाब में ही रही|
सुबह हुई, मछुआरे जाल लेकर आए और तालाब में जाल फैलाकर मछलियाँ पकड़ने लगे| मीना मछली ने संकट को आते देखा, तो लगी जान बचाने के उपाय सोचने| उसका दिमाग तेज़ी से काम करने लगा|
कुछ ही देर में मछुआरों के जाल में दूसरी मछलियों के साथ मीना मछली भी फँस गई| मछुआरों ने अपना जाल खींचा और मछलियों को किनारे पर पलट दिया| बाकी मछलियाँ तो तड़पने लगीं परन्तु मीना मछली साँस रोककर, मरी हुई मछली की तरह पड़ी रही| मछुआरों का ध्यान दूसरी मछलियों की ओर लगा था| मौका पाकर मीना मछली छटपटाती हुई तालाब की ओर बढ़ने लगी और मछुआरों से आँख बचाकर तालाब में कूद गई| इस प्रकार उसने अपनी जान बचा ली|
रीना मछली भी मछुआरों के जाल में फँस गई थी| भाग्य के भरोसे बैठी रहने वाली उसने मीना की तरह खुद को बचाने की कोई कोशिश नहीं की| नतीजा यह हुआ कि उसने दूसरी मछलियों की तरह तड़प-तड़पकर प्राण त्याग दिए|