भारत विश्व के गतिशील, विकासशील एवं अग्रिम दृष्टियुक्त देशों में से एक के रूप में इक्कीसवीं शताब्दी में प्रवेश कर चुका है, परन्तु क्या हम प्रभावी रूप से अपने सपने को साकार कर सकते हैं? क्या हम तेज गति से चलते हुए समय के साथ बराबर कदम से कदम मिलाकर चल सकते हैं ? हमें एक गौरवशाली एवं आत्म-प्रतिष्ठित राष्ट्र के रूप में इक्कीसवीं सदी को एक उपलब्धियों की शताब्दी बनाना है। एक ऐसे राष्ट्र के रूप में, जिसकी आवाज राष्ट्रों के समुदाय में बहुत महत्व रखेगी। जबकि इक्कीसवीं शताब्दी में हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु बहुत कुछ करना है, कम्प्यूटर क्रान्ति हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण यन्त्र है, जिसकी सहायता से हम अपने उद्देश्य में अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। पश्चिम और पूर्व के कुछ विकसित देशों में कम्प्यूटर क्रान्ति अपनी पूरी ऊँचाई पर है। भारत ने भी नवम्बर 1984 में अपनी कम्प्यूटर नीति की घोषणा की थी। श्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने कम्प्यूटर को महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया और इसको भारत के आधुनिकीकरण और विकास के लिए प्रभावी यंत्र पाया। भारत में पहले कम्प्यूटर का निर्माण सन् 1966 में टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, बम्बई द्वारा किया गया उसके पश्चात् भाभा एटोमिक रिसर्च सेन्टर ने इस श्रृंखला में कम्प्यूटरों का निर्माण किया। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन की स्थापना और उसके द्वारा व्यापारिक आधार पर कम्प्यूटरों के निर्माण ने भारत में कम्प्यूटर क्रान्ति को और अधिक गति प्रदान की है। राजीव गांधी ने इस बात पर बल दिया कि इलेक्ट्रॉनिक्स से भारत को नए और अच्छे भविष्य का निर्माण करने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रयोग से बेरोजगारी की समस्या नहीं बढ़ेगी, बल्कि इससे काफी लोगों को रोजगार प्राप्त होगा कि इससे रोजगार घटेगा अथवा बढ़ेगा, यह प्रश्न अब गौण हो चुका है। वास्तविकता यह है कि भारत में कम्प्यूटर अब ठहरने के लिए आ चुका है। इलेक्ट्रॉनिक्स का प्रयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सुरक्षित और प्रभावी रूप से हो सकता है और हो भी रहा है। बहुत सी भारतीय कम्पनियाँ कम्प्यूटरों का निर्माण कर रही हैं। भारत में निर्मित कम्प्यूटरों का विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी में आज भारत विश्व के उन्नत देशों की कतार में खड़ा है। भारत में कम्प्यूटरों के निर्माण से हमें अच्छा खासा विदेशी विनिमय भी प्राप्त हो रहा है। भारत एक सुपर कम्प्यूटर ‘परम’ भी बना चुका है, जिसकी क्षमता विश्व में कहीं भी बने सुपर कम्प्यूटर से कम नहीं है।
कम्प्यूटर का प्रयोग पिछले लोक सभा और विधान सभा चुनावों में किया गया। चुनाव परिणामों का भरोसेमंद विश्लेषण देने में कम्प्यूटर ने अच्छी भूमिका निभाई है। रेडियो और टी।वी। ब्राडकास्टिंग और रिले कार्यक्रमों का भी कम्प्यूटर तकनीकी सहायता से विकास किया जा रहा है। सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स आयोग के अन्तर्गत नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय सूचना केन्द्र की स्थापना की जिसमें बहुत से आधुनिकतम कम्प्यूटर लगे हुए हैं। सभी राज्यों की राजधानियों और लगभग सभी राज्यों के लगभग सभी जनपदों में कम्प्यूटर उपलब्ध हो गए हैं। बैंकों में भी कम्प्यूटर का प्रयोग युद्ध स्तर पर अपनाया जा रहा है। सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों के लगभग सभी मुख्यालयों पर कम्प्यूटर फिट कर दिए गए हैं, क्योंकि बैंकों की 45,000 से अधिक शाखाओं पर नियन्त्रण रखने और उनकी देखरेख करना कम्प्यूटर के द्वारा ही सम्भव हो सकता है। भारतीय जीवन बीमा निगम ने अपने क्रियाकलापों का बड़े पैमाने पर कम्प्यूटरीकरण किया है। पॉलिसी धारक को इसकी सेवाएं पहले से अधिक सक्षम एवं तीव्रगति की हो गई हैं, यातायात प्रणाली में कम्प्यूटर का प्रयोग बहुत ही सुविधाजनक पाया गया है। अन्तर्राष्ट्रीय हवाई सेवाओं ने तो इसे पहले ही प्राप्त कर लिया है। रेलवे विभाग में कम्प्यूटर ने पहले से ही सीटों और शयिकाओं के आरक्षण के कार्य को आसान बना दिया है। रेल और सड़क यातायात नियंत्रित करने में भी कम्प्यूटर को उपयोगी पाया गया है। पुलिस और न्याय व्यवस्था के लिए कम्प्यूटर के महत्व को अच्छी तरह समझ लिया जाना चाहिए। कम्प्यूटर की सहायता से अपराधी का पता लगाना सम्भव पाया गया है। इसलिए राज्य पुलिस मुख्यालय पर लगे कम्प्यूटरों का कनैक्शन नई दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय कम्प्यूटर केन्द्र से भी हो गया है। इंटरनेट के माध्यम से पूरे देश में कहीं भी अपराधी के विषय में खोज की जा सकती है। कम्प्यूटर का चिकित्सा के क्षेत्र में प्रयोग बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। भारत में ई।जी। सी। (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) और रक्त विश्लेषण करने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है। होम्योपैथी ने इसका प्रयोग करना शुरू कर दिया है। सर्जरी में तो इसकी उपयोगिता और भी अधिक है।
मिलिटरी, पोस्ट एण्ड टेलिग्राफ, वाणिज्य एवं उद्योग क्षेत्र में कम्प्यूटर के प्रयोग से इन विभागों की कार्य प्रणाली और जीवन के अन्य क्षेत्रों में क्रान्ति आ चुकी है। भारत के बहुत से विश्वविद्यालयों एवं विद्यालयों में कम्प्यूटर की सहायता से ही शिक्षा कार्य किया जा रहा है। कम्प्यूटर विज्ञान की भी शिक्षा दी जा रही है। भारत में बहुत-सी टेक्नीकल संस्थाओं ने कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा, डिग्री एवं पोस्ट डिग्री कोर्स प्रारम्भ किए हैं और कम्प्यूटर इंजीनियरों की एक बड़ी सेना भारत में अत्यंत उन्नत तकनीकी मानव शक्ति का महत्वपूर्ण अंग है। सांख्यिकी विभाग में आँकड़ों के विश्लेषण और परिणामों के भविष्य के बारे में कम्प्यूटर बहुत ही उपयोगी साबित हुआ है। संचार के क्षेत्र में कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी की उपयोगिता बहुत ही अधिक साबित हुई है। ग्राहक ट्रंक डायलिंग प्रणाली, जोकि कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी पर आधारित है, ने टेलीफोन के द्वारा संचार को बहुत सुविधाजनक बना दिया है। लम्बी दूरी के लिए माइक्रोवेव ट्रांसमिशन वास्तव में कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी पर आधारित है, अभी सेल्यूलर फोन भी संचार क्षेत्र से जुड़ गए हैं जिन्होंने भारत में सूचना क्रान्ति ला दी है। इंटरनेट ने तो अचम्भा ही कर दिखाया है। कम्प्यूटर टाइपिंग, कम्प्यूटर प्रिंटिंग, तथा कम्प्यूटर फोटोकॉपीइंग ने प्रिंटिंग के काम को काफी आसान बना दिया है। इससे हाथ की प्रिंटिंग से कम्पोजीटरों की नीरसता को समाप्त करने में सहायता मिली है। राजस्व विभाग को भूमि के रिकॉर्ड रखने में कम्प्यूटर से बहुत ही सहायता मिली है। एकाउन्ट वर्क, हिसाब लगाना, जोड़ घटाना करना आदि कार्य कम्प्यूटर के द्वारा सही एवं रुचिकर बना दिए गए हैं। भारत में कम्प्यूटर क्रान्ति पूरे जोरों पर है। कम्प्यूटर भारत में इतनी तेजी से फैल रहा है कि एक दिन अधिकतर जनसंख्या के पास अपने-अपने कम्प्यूटर होंगे, बिल्कुल उसी प्रकार जिस प्रकार टी।वी। सेट अधिकतर घरों में लगे हुए हैं। परीक्षा संस्थाओं और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों को कम्प्यूटर अभिन्न अंग हो चला है। संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग प्रतियोगिता परीक्षाओं से सम्बन्धित सूचनाएं कम्प्यूटर में रखते हैं। किसी भी वर्ष की चयन सूची कम्प्यूटर से कभी भी निकाली जा सकती है। सभी विभागों ने अपनी वेबसाइटें बना ली हैं। उनके माध्यम से कोई भी उनसे सम्पर्क कर सकता है। कम्प्यूटर के लिए प्रेम और इसकी तकनीकी सीखने की उत्सुकता हमारे नौजवानों में जोर पकड़ रही है। प्रत्येक बड़े शहर में कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र और संस्थान काफी संख्या में कार्य करने लगे हैं तथा लड़के, लड़कियाँ बड़ी संख्या में उनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। हमारे नवयुवकों में तीव्र गति से बढ़ती हुई कम्प्यूटर चेतना भारत में कम्प्यूटर क्रान्ति का द्योतक है, किन्तु हमें सचेत होना चाहिए कि कम्प्यूटर अन्न नहीं उगाता और न ही माल तैयार करने के लिए उद्योग के पहियों को ही चलाता है। यह नए स्कूल और कॉलेजों की स्थापना भी नहीं करता जिससे कि अधिक से अधिक लोग शिक्षित हो सकें। यह अपने आप ही में निरक्षरता को कम नहीं करता, किन्तु यह निश्चिय ही कार्यकुशलता, गति और सूक्ष्मता में वृद्धि करता है जिससे अधिक मात्रा में सामान और सेवाओं के उत्पादन और उनके स्तर और गुणवत्ता सुधारने में सहायता मिलती है। इस कार्य में लगे हुए कर्मचारियों में अत्यन्त आवश्यक स्मार्टनेस, डैश तथा तत्परता उत्पन्न करता है। उत्तम सीमा तक कम्प्यूटरों का प्रयोग करने वाला कोई भी संगठन अपने ग्राहकों के लिए अधिक सम्मान, विश्वसनीयता एवं भरोसा पैदा करता है, जैसे जैसे भारत का औद्योगीकरण होता जा रहा है, बड़े और अधिक बड़े स्तर पर कम्प्यूटरीकरण का होना भी स्वाभाविक है।
जैसा कि ऊपर उल्लेख किया जा चुका है, हमने सुपर कम्प्यूटर-परम-1000 भी विकसित कर लिया है जो विकसित देशों के कम्प्यूटरों से किसी भी दृष्टि से कम क्षमता का नहीं है, अब हम सूचना प्रौद्योगिकी में एक बड़ी शक्ति बन चुके हैं। हैदराबाद और बंगलौर हमारे अत्यंत विकसित इलेक्ट्रोनिक शहर बन गए हैं। दूसरे शहर भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हम बृहत् स्तर पर कम्प्यूटरों का निर्माण कर रहे हैं और हम कम्प्यूटरों का निर्यात करके काफी मात्रा में विदेशी विनिमय भी कमा रहे हैं। हमारे कम्प्यूटर इंजीनियरों की विदेशों में बहुत माँग है, और वे दक्षता और कुशलता में किसी भी देश के इंजीनियरों से कम नहीं हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत में कम्प्यूटर क्रान्ति पूरे उत्कर्ष पर है।