कम्प्यूटर - आज की आवश्यकता - Computer Today is Important

कम्प्यूटर – आज की आवश्यकता

20वीं सदी में कम्प्यूटर क्षेत्र में आयी क्रान्ति के कारण सूचनाओं की प्राप्ति और इनके संसाधन में काफी तेजी आयी है। इस क्रांति के कारण ही हर किसी क्षेत्र का कम्प्यूटरीकरण संभव हो पाया है। स्थिति यह है कि माइक्रो प्रोसेसर के बिना अब किसी मशीन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पिछले चार दशकों में कम्प्यूटर की पहली चार पीढ़ियां क्रमश: वैक्यूम ट्यूब तकनीकी, ट्रांजिस्टर और प्रिंटेड सर्किट तकनीकी, इंटिग्रेटेड सर्किट तकनीकी और वैरी लार्ज स्केल इंटिग्रेटेड तकनीकी पर आधारित थी। चौथी पीढ़ी की तकनीकी में माइक्रो प्रोसेसरों का वजन केवल कुछ ग्राम तक ही रह गया। आज पांचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर तो कृत्रिम बुद्धि वाले बन गये हैं। वास्तव में कम्प्यूटर एनालॉग या डिजिटल मशीनें ही हैं। अंकों को एक सीमा में परस्पर भिन्न भौतिक मात्राओं में परिवर्तित करने वाले कम्प्यूटर एनालॉग कहलाते हैं। जबकि अंकों का इस्तेमाल करने वाले कम्प्यूटर डिजिटल कहलाते हैं। एक तीसरी तरह के कम्प्यूटर भी हैं जो हाइब्रिड कहलाते हैं। इनमें अंकों का संचय और परिवर्तन डिजिटल रूप में होता है लेकिन गणना एनालॉग रूप में होती है। | विज्ञान क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का आयाम जुड़ने से हुई प्रगति ने हमें अनेक प्रकार की सुविधाएं प्रदान की हैं। इनमें मोबाइल फोन, कम्प्यूटर तथा इंटरनेट का विशिष्ट स्थान है। कम्प्यूटर का विकास गणना करने के लिए विकसित किये यंत्र केलकुलेटर से जुड़ा है। इससे जहां कार्य करने में समय कम लगता है वहीं मानव श्रम में भी कमी आई है। यही कारण है कि दिन-प्रतिदिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। पहले ये कुछ सरकारी संस्थानों तक ही सीमित थे लेकिन आज इनका प्रसार घर-घर में होने लगा है।

जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ समस्यायें भी तीव्र गति से बढ़ती जा रही हैं। इन समस्याओं से जूझना व उनका समुचित हल निकालना मानव के लिए चुनौती रहा है। इन समस्याओं में एक समस्या थी गणित की। इस विषय की जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आवश्यकता पड़ती है। प्रारंभ में आदि मानव उंगलियों की सहायता से गणना करता था। विकास के अनुक्रम में फिर उसने कंकड़, रस्सी में गांठ बांधकर तथा छड़ी पर निशान लगाकर गणना करना आरम्भ किया। करीब दस हजार वर्ष पहले अबेकस नामक मशीन का आविष्कार हुआ। इसका प्रयोग गिनती करने तथा संक्रियायें हल करने के लिए किया जाता था। | यांत्रिक केल्कुलेटर का उद्गम दो गणितज्ञों ब्लेज पास्कल और गॉट फ्राइड विलहेम के कार्यों में खोजा जा सकता है। चार्ल्स बेवेज ने जोन नेपियर द्वारा खोजे गये लघु गुणक अंकणों को समाहित कर सकने वाली ऑल परपज केल्कुलेटिंग मशीन बनाने का विचार किया था। आधुनिक कम्प्यूटर क्रांति बीसवीं सदी के चौथे दशक में आरम्भ हुयी थी। 1904 में खोजे गये थर्मीयोनिक को वैज्ञानिक विनविलयन्स ने 1931 में गणक यंत्र के रूप में उपयोगी पाया था। हावर्ड एकेन द्वारा निर्मित हावर्ड मार्क एक कम्प्यूटर विश्व का पहला डिजिटल कम्प्यूटर था। जिसमें इलेक्ट्रोमेकेनिकल यंत्रों का प्रयोग किया गया था। इसे 1944 में इंटरनेशनल विजनेस मशीन (आईबीएम) और हावर्ड विश्वविद्यालय ने मिलकर विकसित किया था। 1946 में विश्व का पहला पूरी तरह से इलेक्ट्रोनिक डिजिटल कम्प्यूटर बना। पहली पीढ़ी का यह कम्प्यूटर वैक्यूम ट्यूब टेक्नालॉजी पर आधारित था। इसमें दस अंकों वाली बीस संख्याओं को संचित किया जा सकता था। इसकी कार्य करने की गति बहुत तेज थी। उदाहरण के लिए यह दस अंकों का दो संख्याओं का गुणनफल तीन मिली सेकेण्ड में निकाल सकता था और प्रति सेकेण्ड पांच हजार योग कर सकता था।

इसके बाद पास्कल फिर 1973 में जर्मन के दार्शनिक व गणितज्ञ गॉट फ्राइड ने केलकुलेटर नामक यंत्र विकसित किया। 1944 में पहला विद्युत चालित कम्प्यूटर बना। तब से लेकर अब तक इसमें कई तरह के बदलाव आये हैं। वर्तमान में कम्प्यूटर के कार्य करने की गति इतनी तीव्र हो गयी है कि वह किसी भी गणना को करने में सेकेण्ड का दस खरबवें भाग जितना समय लेता है। इसके अलावा उससे अन्य कई तरह के कार्य भी लिये जा सकते हैं। चार्ल्स बेवेज पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 19वीं शताब्दी के आरम्भ में सबसे पहला कम्प्यूटर बनाया। इसकी विशेषता यह थी कि यह बड़ी गणनाओं को करने तथा उन्हें मुद्रित करने की क्षमता रखता था। भारत में शुरुआती दौर में कम्प्यूटरों का इस्तेमाल काफी सीमित था लेकिन वर्तमान में बैंक, अस्पताल, प्रयोगशाला, अनुसंधान केन्द्र, विद्यालय सहित ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां कम्प्यूटर का इस्तेमाल न किया जाता हो।

वर्तमान में कम्प्यूटर संचार का भी एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से देश के प्रमुख नगरों को एक दूसरे के साथ जोड़े जाने की प्रक्रिया जारी है। भवनों, मोटर-गाड़ियों, हवाई जहाजों आदि के डिजाइन तैयार करने में कम्प्यूटर का व्यापक प्रयोग हो रहा है। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर ने अद्भुत कमाल कर दिखाया है। इसके माध्यम से करोड़ों मील दूर अंतरिक्ष के चित्र लिए जा रहे हैं। मजे की बात यह है कि इन चित्रों का विश्लेषण भी कम्प्यूटर द्वारा ही किया जा रहा है।

कम्प्यूटर नेटवर्क द्वारा देश विदेश को जोड़ने को ही इंटरनेट कहा जाता है। नेटवर्क केवल एक ही कम्प्यूटर से नहीं जुड़ा होता अपितु कई सारे कम्प्यूटर जो देश-विदेश में हैं को इंटरनेट नेटवर्क द्वारा आपस में जोड़ता है। इंटरनेट की शुरूआत 1969 में अमेरिका के रक्षा विभाग ने शुरू की थी। 1990 में इसका व्यक्तिगत व व्यापारिक सेवाओं में भी प्रयोग किया जाने लगा। वर्तमान में इसके प्रयोगकर्ता पच्चीस प्रतिशत की दर से प्रति माह बढ़ रहे हैं। इंटरनेट द्वारा हम एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर उपस्थित व्यक्ति को संदेश भेज सकते हैं। उससे आवश्यक जानकारी हासिल कर सकते हैं। यह कम समय में दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से संवाद स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम है। इसके अलावा इसकी अन्य कई विशेषतायें भी हैं।

कम्प्यूटर चाहे कम समय में मानव से ज्यादा काम कर ले और वह भी बिना किसी त्रुटि के लेकिन मानव मस्तिष्क से तेज नहीं माना जा सकता कम्प्यूटर को। क्योंकि इसका आविष्कार करने वाला मनुष्य ही है। इसलिए कम्प्यूटर से श्रेष्ठ मानव है। कम्प्यूटर उपयोगी होते हुए भी मशीन के समान है। वह मानव के समान संवेदनशील नहीं हो सकता। मनुष्य को कम्प्यूटर को एक सीमा तक ही प्रयोग में लाना चाहिए। मनुष्य स्वयं निष्क्रिय न बने, बल्कि वह स्वयं को सक्रिय बनाये रखे तथा अपनी क्षमता को सुरक्षित रखे।

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