त्योहारों को हर्ष और उल्लास का प्रतीक माना जाता है। इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाले समस्त प्राणी जीव-जन्तु, पशु-पक्षी और मनुष्य जीवनयापन के लिए परिश्रम करते हैं। Read more about हमारा भारत हमारे त्योहार …
त्योहारों को हर्ष और उल्लास का प्रतीक माना जाता है। इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाले समस्त प्राणी जीव-जन्तु, पशु-पक्षी और मनुष्य जीवनयापन के लिए परिश्रम करते हैं। Read more about हमारा भारत हमारे त्योहार …
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् भारत के उन गिने-चुने राष्ट्रपतियों में से एक थे, जिन्होंने अपनी विद्वता, योग्यता तथा वाक्पटुता के कारण सारे संसार में प्रसिद्धि प्राप्त की थी। Read more about पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन् …
भारत में दलितों एवं पिछड़े वर्गों की लड़ाई लड़कर अपनी योग्यता एवं सक्रिय कार्यशक्ति के आधार पर भारत रत्न’ की उपाधि से सम्मानित डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महाराष्ट्र की महू-छावनी में एक दलित परिवार में हुआ था। Read more about डॉ. भीमराव अंबेडकर …
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वह भारतीय वीरांगना थी जिसने स्वयं रणभूमि में स्वतंत्रता की बलिवेदी पर हँसते-हँसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। Read more about वीरांगना लक्ष्मीबाई (झाँसी की रानी) …
आधुनिक युग विज्ञान का युग है। विज्ञान का मुख्य पहलू, लक्ष्य, उद्देश्य और गन्तव्य मानव जीवन के लिए तरह-तरह के साधन जुटाकर उसे सुख-सुविधाओं और सम्पन्नता के वरदानों से भर देना है। Read more about विज्ञान वरदान है या अभिशाप …
झनझनाती चूड़ियां! अहा! इनका नाम सुनते ही नन्हीं बालिकाएं खिल उठती हैं। कल तीजों का त्यौहार था। प्रभा की माता ने उसे बड़ी सुन्दर चूड़ियां पहनाई। Read more about चूड़ियां …
मैं भारत का एक सैनिक हूँ। जन्म से मैं देहाती और साथ ही एक किसान हूँ। पुस्तकों का ज्ञान और अनुभव तो मेरे पास नाममात्र को है, पर उत्साह और सहनशक्ति असीम है। Read more about एक सैनिक की आत्मकथा …
छोटी-सी चींटी को कौन नहीं जानता ? इसे चिउंटी, च्यूटी, पिपीलिका या कीड़ी कहते हैं। यह जरा-सी होती है। कई बार पैरों के नीचे आकर कुचली जाती है। Read more about चींटी …
महात्मा गांधी के पश्चात् सामान्य जनता की सुध लेने और उनके दुःख-दर्द बांटने के लिए यदि किसी महापुरुष ने सफल आन्दोलन चलाया तो सबसे पहले आचार्य विनोबा भावे का नाम आता है। Read more about आचार्य विनोबा भावे …
प्राचीन काल से ही धर्म और विज्ञान के बीच विरोधाभास देखा गया है। विभिन्न तर्कों के आधार पर भारत और विश्वभर के ऋषि-मुनियों, विद्वानों, दार्शनिकों ने इस संदर्भ में अलग-अलग व्याख्याएँ दी हैं। Read more about धर्म और विज्ञान का संतुलन …