सचिन तेंदुलकर - Sachin Tendulkar

सचिन तेंदुलकर

विश्व प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर भारतीय व अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जगत में एक मिथ बन युके हैं। ‘मास्टर ब्लास्टर’ कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 24 अप्रैल 2009 को लंदन के मैडम तुसाद संग्रहालय में उनकी मोम की प्रतिमा लगाई जा चुकी है। वायुसेना की सिफारिश पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें वर्ष 2010 में ग्रुप कैप्टन के मानद रैंक से सम्मानित किया है। मुम्बई के एक सीधे-सादे मराठी प्रोफेसर का यह कनिष्ठ पुत्र बल्ले को हाथ में थामे भविष्य के सपने संजोया करता था। सचिन के भाग्य ने उनका सबसे पहला साथ तब निभाया जब क्रिकेट जगत के द्रोणाचार्य कहे जाने वाले रमाकांत आचरेकर ने उन्हें अपने शिष्यत्व में स्वीकार किया। आचरेकर की पारखी निगाहों ने उसी समय ताड़ लिया था कि सचिन नाम का यह शिष्य उनके पास मन से कुछ सीखने आया है और एक दिन इसके बल्ले से ऐसी धुन निकलेगी कि संसार-भर के क्रिकेट प्रेमी लम्बे समय तक झूमते रहेंगे। सचिन ने भी आचरेकर के साथ जमकर पसीना बहाया और केवल तेरह साल की उम्र में अपने बचपन के साथी विनोद कांबली के साथ मिलकर इतिहास की रचना की। इन दोनों ने मिलकर स्कूली क्रिकेट में छठे विकेट के लिए 664 रनों की विशालकाय साझेदारी की। यह सचिन के जीवन की पहली बड़ी सफलता थी और इसने उसके लिए टॉनिक की तरह काम किया और ऐसी सफलताओं के प्रति उसकी भूख बढ़ती चली गयी।

सचिन को एक दिवसीय क्रिकेट में अपना पहला शतक लगाने के लिए करीब पांच साल तक इंतजार करना पड़ा लेकिन एक बार शतक लगाने के बाद उसे शतकीय पारी का स्वाद इतना रास आया कि वह हर पारी में शतक लगाने के फेरे में दिखाई देने लगा। रनों के प्रति सचिन की बढ़ती भूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। कि 1994 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलंबो में अपने 79वें एक दिवसीय मैच में पहला शतक जमाने वाले सचिन तेंदुलकर वर्ष 2011 तक अपने 450 से अधिक मैंचों में 48 शतक और 90 से अधिक अर्द्धशतक जमा चुके हैं। अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उनके रनों की कुल संख्या 32 हजार से अधिक हो गई है। सचिन विश्व में सर्वाधिक एक दिवसीय मैच खेलने वाले खिलाड़ी भी बन चुके हैं।

शतक बनाने के मामले में सचिन तेंदुलकर आस्ट्रेलिया की टीम पर खासे मेहरबान रहे हैं और एकदिवसीय क्रिकेट में सर्वाधिक शतक उन्होंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ ही बनाए हैं और इससे भी ज्यादा मजेदार बात यह है कि सचिन ने जिन मैचों में शतक बनाए हैं। उनमें से अधिकांश मैचों में भारत विजयी रहा है। सचिन ने स्वयं को एक ऐसे बल्लेबाज । के रूप में विकसित किया जिससे विश्व का खतरनाक से खतरनाक गेंदबाज खौफ खाये और यही कारण है कि वह मैदान के प्रत्येक कोने पर किसी भी प्रकार का शॉट खेलने में सक्षम है।

ब्रेडमैन के साथ सचिन की तुलना की जाने पर काफी समानतायें नजर आती हैं। ब्रेडमैन के इतना अच्छा बल्लेबाज होने के पीछे उनकी दो शक्तियां प्रमुख रूप से काम करती थीं, पहली-गेंद को काफी पहले से ही पढ़ लेने की का और दूसरी, स्ट्रोक खेलते समय पैरों की चपलता। किसी भी क्रिकेटर के लिए सफल होने में पहला योगदान उसके फुटवर्क का होता है और ब्रेडमैन के अस्वाभाविक फुटवर्क की तरह सचिन के पैरों की हलचल अस्वाभाविक तो नहीं है लेकिन वह इतनी शानदार और तेज है कि एक ही समय में तेंदुलकर को आगे और पीछे जाने का मौका बराबरी से प्रदान करती है।

सचिन 24 फरवरी, 2010 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ग्वालियर में एकदिवसीय मैच में दोहरा शतक बनाकर, ऐसा कीर्तिमान स्थापित करने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने टैस्ट क्रिकेट में 50 से ज्यादा शतक बना लिए हैं। सचिन ने टैस्ट क्रिकेट में 14,000 रनों का आंकड़ा पार कर लिया है। वह यह कमाल करने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं। सचिन ने अपने एकदिवसीय मैचों में 17 हजार रन पूरे कर लिए हैं। सचिन टैस्ट और एकदिवसीय मैचों में सर्वाधिक रन बनाने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज बन गए हैं। आशा है कि वर्तमान दशक में भी सचिन क्रिकेट जगत में अमिट कीर्तिमान स्थापित करेंगे व भारत को इस खेल में अग्रणी रखेंगे।

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