बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध के जन्मदिवस को ‘बुद्ध पूर्णिमा’ के पर्व के रूप में मनाया जाता है| गौतम बुद्ध का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व लुंबिनी, भारत (आज का नेपाल) में हुआ था| ऐसी मान्यता है कि जिस दिन बुद्ध जन्मे उस दिन ‘पूर्णिमा’ थी| बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। बुद्ध जयन्ती वैशाख पूर्णिमा को मनाया जाता है।
बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। उनके पिता का नाम शुद्धोधन एवं माताजी के नाम मायादेवी था। 29 वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया और सन्यास ग्रहण कर वे सन्यासी बन गए। महात्मा बुद्ध ने एक पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान की खोज में सात वर्षों तक कठोर तपस्या की जहाँ उन्हें सत्य का ज्ञान हुआ जिसे “सम्बोधि” कहा गया। उस पीपल के पेड़ को तभी से बोधि वृक्ष कहा जाता है।
आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 180 करोड़ से अधिक लोग इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध मतावलंबी बौद्ध मठों व विहारों में जाते हैं| इस दिन वे भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षाओं व सीख का स्मरण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं| हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं।
यह सही है कि इस समय भारत में बौद्ध धर्म को मानने वाले अल्पसंख्यक हैं| इसके बावजूद यह त्यौहार भारत, चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान तथा विश्व के कई देशों में मनाया जाता है। जापान में तो बुद्ध पूर्णिमा के पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है| बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बुद्ध की महापरिनिर्वाणस्थली कुशीनगर में स्थित महापरिनिर्वाण विहार पर एक माह का मेला लगता है।
इस दिन बौद्ध अनुयायी घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है। इस दिन बोधिवृक्ष की भी पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं को हार व रंगीन पताकाओं से सजाते हैं। जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं। इस दिन मांसाहार का परहेज होता है क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे।
भारत में बुद्ध पूर्णिमा के दिन सर्वाधिक रंगारंग कार्यक्रम सारनाथ (वाराणसी) में होता है| ‘सारनाथ’ वही स्थल है, जहां गौतम बौद्ध ने सबसे पहले अपने धर्म का शिष्यों के समक्ष प्रवर्तन किया था| आइये बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर हम भगवान बुद्ध का स्मरण कर उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रयास करें।