छठ पूजा - Chhath Puja

छठ पूजा – Chhath Puja

छठ पूजा धार्मिक और सामाजिक आस्था का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है| छठ त्यौहार हिंदू समुदायों द्वारा विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और पड़ोसी देश नेपाल में भी मनाए जाने वाले प्राचीन त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाया जाता है|

छठ पूजा मनाने का कारण –

मान्यता है कि एक राजा के कई वर्षों तक संतान नहीं हुई तो राजा ने महर्षि ऋषि को अपनी पीड़ा बताई ऋषि ने यज्ञ करने को कहा यज्ञ करने के फलस्वरुप राजा को संतान तो प्राप्त हुई लेकिन वह बच्चा मृत पैदा हुआ।

जिसके बाद राजा अपना आपा खो बैठा और अपनी जान देने को उतारू हो गया उसी वक्त छठी मैया ने राजा को दर्शन दिए और कहा कि अगर आप लोग मेरा व्रत पूर्ण विधि-विधान से करते है तो आपको अवश्य संतान प्राप्ति होगी।

छठी मैया के व्रत करने की फलस्वरुप राजा को संतान की प्राप्ति हुई जिसके बाद से ही सभी लोग अपने पति की लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए छठी मैया का व्रत रखते है।

छठ पर्व किस प्रकार मनाते हैं ?

यह चार दिनों के लिए सच्ची भावना से किया जाता है और बिना किसी कंबल के फर्श पर सोना चाहिए। इस त्यौहार पर पहले दिन व्रती महिलाएं चने की दाल, लौकी की सब्जी और रोटी का सेवन करती हैं| दूसरे दिन छोटी छठ (खरना) को रात में रसियाव (गुड़ की खीर) का सेवन करके व्रत शुरू कर देती हैं| उसके अगले दिन दिनभर व्रत रखने के साथ ही डूबते सूर्य को अर्ध्य देती हैं| उसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का पारण करती हैं| सुख समृद्धि के प्रतीक सूर्य देव की कृपा धरती के सभी जीव-जंतुओं पर बनी रहे, इसका वरदान मांगती हैं|

ऐसी मान्यता है कि अगर कोई परिवार छठ पूजा करता है, तो उन्हें हर साल पूजा करनी चाहिए और आने वाली पीढ़ियों को भी इस पूजा को करना चाहिए। लोग मानते हैं कि सूर्य की ऊर्जा एकरूप है यह कुष्ठ रोग और व्यक्ति की लंबी उम्र जैसी कई बीमारियों को ठीक करता है और इसलिए इस त्यौहार को मनाया जाता है|

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