लोहड़ी उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है। मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व उत्तर भारत विशेषत: पंजाब में लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है। लोहड़ी पौष के अंतिम दिन, सूर्यास्त के बाद (माघ संक्रांति से पहली रात) यह पर्व मनाया जाता है। यह प्राय: 12 या 13 जनवरी को पड़ता है। वैसे तो लोहड़ी का त्यौहार सिख्खों का होता है। पंजाब में लोहरी बहुत धूम धाम से मनाई जाती है लेकिन ये त्यौहार सिर्फ पंजाब में ही नहीं बल्कि पूरे देश में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।
लोहड़ी से कुछ दिन पहले से ही छोटे बच्चे लोहड़ी के गीत गाकर लोहड़ी हेतु लकड़ियां, मेवे, रेवड़ियां, मूंगफली इकट्ठा करने लग जाते हैं| संचित सामग्री से सायं के समय चौराहे या मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाई जाती है। मुहल्ले या गाँव भर के लोग घर और व्यवसाय के कामकाज से निपटकर प्रत्येक परिवार अग्नि की परिक्रमा करता है। परिक्रमा करते हुए अग्नि को रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति देते हैं। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है।
लोहड़ी का एतिहासिक महत्व यह भी है कि एक समय में सुंदरी एवं मुंदरी नाम की दो अनाथ लड़कियां थीं। उसी समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक नामी डाकू हुआ करता था| उसने दोनों लड़कियों, सुंदरी एवं मुंदरी की मदद की और लड़के वालों को मना कर एक जंगल में आग जला कर उनका विवाह करवाया। दुल्ले ने खुद ही उन दोनों का कन्यादान किया। जल्दी-जल्दी में शादी की धूमधाम का इंतजाम भी न हो सका तो दुल्ले ने उन लड़कियों की झोली में शगुन के रूप में एक सेर शक्कर ड़ालकर ही उनको विदा कर दिया। इस पूरी कहानी को एक गीत के रूप में गया जाता है| जो की इस प्रकार है-
सुन्दिरिये-मुन्दिरिये-हो तेरा कौन विचारा-हो
दुल्ला मही वाला-हो दुल्ले ने धी ब्याही-हो
सेर शक्कर पाई-हो कुड़ी दा लाल पटाका-हो
कुड़ी दा सालू फाटा-हो सालू कौन समेटे-हो
चाचा चूरी कुट्टी-हों जमीदारा लूटी-हो
जमींदार सुधाये-हो बड़े भोले आये-हो
इक भोला रह गया-हों सिपाही पकड़ के लै गया-हो
सिपाही ने मारी ईट, भाँवे रो, ते भाँवे पीट
सानू दे दे, लोहड़ी तेरी जीवे, जोड़ी|
भावार्थ यह है कि ड़ाकू हो कर भी दुल्ला भट्टी ने निर्धन लड़कियों के लिए पिता की भूमिका निभाई।
यह भी कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है, इसीलिए इसे लोई भी कहा जाता है। इस प्रकार यह त्योहार पूरे उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।