इहु जगतु ममता मुआ जीवण की बिधि नाहि ॥ Read more about विवाह शादियों की रस्मों में सुधार …
इहु जगतु ममता मुआ जीवण की बिधि नाहि ॥ Read more about विवाह शादियों की रस्मों में सुधार …
सतीआ एहि न आखीअनि जो मड़िआ लगि जलनि ॥ Read more about सती की अमानीय प्रथा तथा स्त्री जाति …
गुरु अमरदास जी ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा है : Read more about जात-पात का भेदभाव और धर्म (Shri Guru Amar Das Ji) …
तीसरी पातशाही, गुरू अमरदास जी सत्य के पालनहार, देशों के सुल्तान और सरवावत तथा बख्शिश के प्रसार के संसार सागर की भांति हैं। Read more about श्री गुरू अमरदास जी के चरणों में भाई नंद लाल सिंघ जी की श्रद्धांजलि …
भट्टों द्वारा गुर की स्तुति में उच्चारित बाणी की तरह गुरू ग्रंथ साहिब में राय बलवंड और सत्ते द्वारा उच्चारित रामकली की वार भी दर्ज है Read more about दैवी गुणों तथा ज्ञान के पुंज गुरू अमरदास जी (Shri Guru Amar Das Ji) …
श्री गुरू अमर दास जी ने परम ज्योति में विलीन होने से पहले अपने परिवार के सभी सदस्यों को तथा संगत को एकत्रित किया और कुछ विशेष उपदेश दिये। Read more about गुरूदेव परम ज्योति में विलीन …
पूर्वोक्त तरह का एक टिकाना, एक जरनैली सड़क के किनारे बसे मेहड़े गांव (परगना मुलाणा) के दुर्गा ब्राह्मण ने भी बना रखा था। Read more about दुर्गा ब्राहमण व ब्रहमचारी साधू से मेल …
साहिब सतगुरु अमरदास जी का जन्म 5 मई सन् 1479 में, बासरके गांव (अमृतसर से लगभग पांच मील की दूरी पर) हुआ। Read more about श्री गुरु अमर दास जी की जीवनी …
भगता की चाल निराली ॥ चाला निराली भगताह केरी बिखम मारगि चलणा ॥ लबु लोभु अहंकारु तजि त्रिसना बहुतु नाही बोलणा ॥
खंनिअहु तिखी वालहु निकी एतु मारगि जाणा ॥ गुर परसादी जिनी आपु तजिआ हरि वासना समाणी ॥ कहै नानकु चाल भगता जुगहु जुगु निराली ॥१४॥
मानव जीवन का मनोरथ क्या है, इस बारे में गुरु अमरदास जी ने बड़े स्पष्ट विचार दिए हैं। Read more about मानव जीवन का मनोरथ …