श्री गुरु अंगद देव जी की जीवनी - Shri Guru Angad Dev Ji Introduction

श्री गुरु अंगद देव जी की जीवनी

श्री गुरु अंगद देव जी का पहला नाम भाई लहणा जी था। आप का प्रकाश (जन्म) 31 मार्च सन् 1504 (तदानुसार 5 बैसाख संवत् 1561) को ग्राम मत्ते की सराय, जिला फिरोजपुर, पंजाब में पिता फेरूमल जी व माता दया कौर जी के घर में हुआ।
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गोइंदवाल की स्थापना तथा विकास - Establishment and Development of Goindwal

गोइंदवाल की स्थापना तथा विकास

क्षत्रीय जाति का गोइंदा व्यास नदी के किनारे, जहां दिल्ली में लाहौर जाने वाली शाही सड़क गुज़रती थी, एक नगर बसाना चाहता था। वह वहुत सी ज़मीन का मालिक था। Read more about गोइंदवाल की स्थापना तथा विकास

परिश्रम करने के सिद्धांत पर पहरा देना - Guard on the Principle of Diligence

परिश्रम करने के सिद्धांत पर पहरा देना

वास्तविकता यह है कि हम अभी तक अपने सतगुरू साहिबान का जीवन इतिहास में (द्वारा) ठीक ढंग से लोगों के सामने प्रस्तुत नहीं कर सके हैं। Read more about परिश्रम करने के सिद्धांत पर पहरा देना

लंगर की मर्यादा बारा आतृभाव तथा आपसी प्यार पैदा करना - The Anchor's Limitations are the Cause of Infatuation and mutual Love

लंगर की मर्यादा बारा आतृभाव तथा आपसी प्यार पैदा करना

गुरू नानक देव जी की वाणी में संसार की समूह मानवता को जाति पाति, लिंग, प्रांत, देश, नस्ल, रंग आदि के भेद-भावों को एक ओर रख कर, एक सांझे पिता-परमेश्वर की संतान होने का ज़ोरदार विचार दिया गया है और इसलिए सभी मनुष्य आपस में भाई-भाई हैं। Read more about लंगर की मर्यादा बारा आतृभाव तथा आपसी प्यार पैदा करना

युद्धों में जूझने के बारे में मालू शाह को उपदेश - Advice to Malu Shah about Fighting in Wars

युद्धों में जूझने के बारे में मालू शाह को उपदेश

गुरू अंगद देव जी का एक सिख, मालू शाह जो सैनिक जीवन व्यतीत कर रहा था, एक बार गुरू साहिब के पास अपनी शंका निवारण हेतु आया। Read more about युद्धों में जूझने के बारे में मालू शाह को उपदेश

हुमायूँ बादशाह की मुलाकात अंगद देव जी के साथ - Humayun Badshah Meets Angad Dev Ji

हुमायूँ बादशाह की मुलाकात अंगद देव जी के साथ

“महिमा प्रकाश”, “सूरज प्रकाश”, “तवारीख-ए-पंजाब”(कन्हैया लाल की) में तथा साथ के साथ चलने वाली सिख परम्पराओं में हुमायूं बादशाह की गुरू अंगद देव जी के साथ हुई मुलाकात का वर्णन आता है।  Read more about हुमायूँ बादशाह की मुलाकात अंगद देव जी के साथ

शराब आदि नशों से वर्जित और चौधरी मलूका - Malooka, the Drunkard

शराब आदि नशों से वर्जित और चौधरी मलूका

गुरू अंगद देव जी ने गुरू नानक देव जी का सीधा-सादा तथा आदर्शक जीवन ढंग लोगों के सामने प्रस्तुत किया । लोगों को शराब आदि नशों से वर्जित किया। Read more about शराब आदि नशों से वर्जित और चौधरी मलूका

सांसारिक बड़प्पन का गर्न तथा चौधरी बख्तावर - Worldly nobility and Chaudhary Bakhtawar

सांसारिक बड़प्पन का गर्न तथा चौधरी बख्तावर

सन् 1547 के करीब गुरू अंगद देव जी ने मालवा का एक छोय सा प्रचारक दौरा किया। अपने पुराने इलाके, पत्ते दी सरां आदि से लेकर गांव हरीके आ पहुंचे। Read more about सांसारिक बड़प्पन का गर्न तथा चौधरी बख्तावर

परमेश्वर की रज़ा में राजी रहने का उपदेश - Accept the God's will

परमेश्वर की रज़ा में राजी रहने का उपदेश

खडूर से तीन मीलों की दूरी पर भाई जीवा तथा उसकी सुपुत्री जिवाई रहते थे। बीबी जिवाई गुरू घर के लिए रोज़ खिचड़ी तैयार करके लाया करती थी। Read more about परमेश्वर की रज़ा में राजी रहने का उपदेश

जाति-अभिमान को मारने के लिए भाई जोध देवता का आश्चर्यजनक तरीका - The Wonderful Way of Brother Jodha Devta to Kill Caste Pride

जाति-अभिमान को मारने के लिए भाई जोध देवता का आश्चर्यजनक तरीका

गुरू अगंद देव जी के सतसंग से प्रभावित लेकर एक बार एक ब्राह्मण जोध ने सदा के लिए ही गुरू साहिब के चरणों में रह कर जीवन सफल करने का इरादा बना लिया। Read more about जाति-अभिमान को मारने के लिए भाई जोध देवता का आश्चर्यजनक तरीका