भट्ट कवियों का गुरू दरबार में आगमन (Shri Guru Arjan Dev Ji) - Bhat Poets Arrive in Guru Court

भट्ट कवियों का गुरू दरबार में आगमन (Shri Guru Arjan Dev Ji)

श्री गुरू राम दास जी के निधन का समाचार फैलते ही संगत दूर-दराज के क्षेत्रों से उनकी तेहरवी के समारोह में सम्मिलित होने गोईदवाल एकत्र होने लगी, इन संगत के मुखी जनों के साथ कुछ भट्ट विद्वानों की भेंट हो गई। ये समस्त प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों का भ्रमण कर रहे थे किन्तु इन की जिज्ञासा कहीं शांत नहीं हुई क्योकि इनको कहीं पूर्ण सत्यगुरू के दर्शन नहीं हुए जो इन्हें शाश्वत ज्ञान दे सके। वैसे तो पुस्तकीय ज्ञान वाले बहुत से विद्वान समय-समय मिलते रहे किनतु ब्रह्मवेता कहीं दृष्टिगोचर नहीं हुआ। संगत के प्रमुखों से इन भट्ट विद्वनों को ज्ञात हुआ कि पांचवे गुरू श्री गुरू नानक देव जी के उत्तराधिकारी नियुक्त हुए है वह प्रत्येक दृष्टि से सम्पूर्ण अथवा बहुमुखी प्रतिमा के स्वामी है जिनमें आध्यात्मिक शिखर पर पहुंची हुई दिव्य ज्योति के आप को दर्शन होगे।

ये भट्ट जो कि अधिकांश कवि भी थे, हृदय में तीव्र जिज्ञासा लेकर गोइंदवाल गुरूदेव के दर्शनों को उपस्थित हुए। इनकी गिनती ग्यारह थी। रास्ते में इन्होंने गुरूदेव की स्तुति में सिक्खों के जत्थे से अनेकों बातें सुनी, जिस के आधार पर उनका अनुमान था कि गुरू महाराज की आयु प्रौढ़ावस्था की तो होगी किन्तु उन्होंने जब गुरूदेव को एक नवयुवक के रूप में देखा तो उनके आश्चर्य का ठीकाना न रहा। जब उन्होने गुरूदेव के संग समीप्ता प्राप्त की तो उन्होंने अनुभव किया कि जैसा सत्य गुरू सुना था वैसा ही पाया है।

गुरूदेव के बड़े भाई पृथीचन्द के अड़ियल व्यवहार को उन्होंने देखा उस के विपरीत श्री गुरू अरजन देव जी सदैव शांत, शीतल व गम्भीर बने रहते उनकी मधुरता उनको मंत्रमुग्ध करती चली गई क्योकि यह समय गुरूदेव के धैर्य की परीक्षा का समय था। इस बीच भट्टों ने पहले चारों गुरूजनों के विषय में संगत से प्रयाप्त जानकारी प्राप्त कर ली। इस प्रकार उनके मन पर गुरूजनों के प्रति बहुत प्रभाव पड़ा और उन्होंने पाचों ही गुरूजनों की स्तुति में काव्य रचनांए लिखी जो कि बाद में आदि ग्रंथ साहब में संकलित कर ली गई। इन रचनाओं को भट्ट कवियों के सवैये कहा जाता है।

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