शहीद की परिभाषा

जो मनुष्य लगातार चुनौती देने पर भी अपने आदर्श पर दृढ़ता से डटा हुआ अपने प्राणों की आहुति दे दे अथवा बलिदान हो जाए किन्तु अपनी धारणा में परिवर्तन न लाए, ऐसे बलिदानी पुरुष को शहीद कहते हैं। दूसरे शब्दों में जिस मनुष्य को अपने प्राण सुरक्षित करने के लिए शत्रुओं द्वारा कम से कम एक अवसर प्रदान किया जाए फिर भी वह अपने आदर्शवादी मार्ग को त्याग देने के लिए तैयार न हो, वह शहीद कहलाता है। रणक्षेत्र में युद्धरत सैनिकों पर भी यही सिद्धांत लागू होता है। उन को भी विरोधी पक्ष के सैनिक शस्त्र- अस्त्र डाल देने के लिए विवश करते हैं। अथवा भागने का पूरा अवसर प्रदान करते हैं। किन्तु देश भक्त सैनिक ऐसा न कर, देश के काम आने को ही अपना लक्ष्य मानते हैं। अर्थात् विजय अथवा मृत्यु में से किसी एक की प्राप्ति की कामना ही उनको शहीद का दर्जा देती है।

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