सुख सहज आनंद घणा हरि कीरतनु गाउ ।।
गरह निवारे सतिगुरू दे आपणा नाउ ।।
गुरूदेव जी ने कहा – यदि आप गृह कलह-क्लेश से मुक्ति चाहते हैं तो उसका सहज सरल उपाय यही है कि हरि नाम का सुमरिन करें अथवा हरियश में संलग्न हो, प्रभु की स्तुति में कीर्तन करें। सभी प्रकार के आनन्द स्वयँ ही प्राप्त होते चले जायेंगे।
एक सिक्ख ने अपनी समस्या बताते हुए कहा – हे गुरूदेव ! यहाँ के स्थानीय पण्डित हमें बताते हैं कि सभी प्रकार की सुख शान्ति ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव पर निर्भर करती है।
गुरूदेव जी ने समस्त संगत को सम्बोधन करके कहा – हमें श्री गुरू नानक देव जी के सर्वोतम दान ‘नाम दान’ का अद्वितीय उपहार दिया है। यह नाम रूपी धन महाशक्ति है, जिसके आगे शकुन-अपशकुन ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव नगण्य हो जाता है।
सगुन अपसगुन तिस कउ लगहि जिसु चीति न आवै ॥ तिसु जमु नेड़ि न आवई जो हरि प्रभि भावै ॥२॥ पुंन दान जप तप जेते सभ ऊपरि नामु ॥ हरि हरि रसना जो जपै तिसु पूरन कामु ॥३॥
आसा महता 5वां पृष्ठ………..