ननकाना साहिब के दर्शन

श्री गुरू अर्जुन देव जी ने अनुभव किया कि ऋतु बदलने के साथ लाहौर निवासियों की हालत में बहुत सुधार हुआ है। प्रकृति ने भी वर्षा इत्यादि का उपहार देकर जनसाधारण को राहत पहुँचाई थी। अतः आप जी ने मन बनाया क गुरू नानक देव जी के प्रकाश स्थान ननकाना साहब के दर्शन कर लिये जाने चाहिए। आप जिला शेखुपुरा पहुँचे। वहाँ से गाँव राय भोएकी तलवंडी पहुँचे। वहाँ आपने पाया कि स्थानीय श्रद्धालुओं ने श्री गुरू नानक देव जी के जन्म स्थान वाले श्री मेहता कल्याण चन्द जी के भवन को धर्मशाला का रूप दिया हुआ है और वहाँ समय समय पर बहुत संगते एकत्रित होती हैं। आप जी ने स्थानीय सगत से विचार विमर्श करके उस धर्मशाला का आधुनिकीकरण करने की योजना बनाई। संगत के सहयोग से कार्य तीव्र गति से प्रारम्भ हुआ। गुरूदेव जी के वहाँ रहते मूल ढांचा तैयार हो गया। गुरूदेव प्रतिदिन संगत को अपने प्रवचनों से कृतार्थ करते। अड़ोस-पड़ौस के क्षेत्रों की संगत का ननकाना साहब में खूब जमावड़ा हो गया। बहुत से श्रद्धालु आप से विनम्र निवेदन करने लगेकि आप उनके देहातों में भी पधारें, जिस से स्थानीय लोग जो कि दकियानूसी परम्पराओं में ग्रस्त हैं और अपना शोषण करवा रहे हैं। उनको भी सहज जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन मिल सके। गुरूदेव जी ने सब को धीरज बधाया और कहा – प्रभु इच्छा हुई तो मेरा प्रयास यही रहेगा कि अधिक से अधिक क्षेत्रों में भ्रमण हो सके। भाई गुंदारा जी अपने गांव की पंचायत लेकर आपके समक्ष उपस्थित हुए। गाँव मदर की पंचायत का अनुरोध इतना भावपूर्ण था कि गुरूदेव जी उनके आग्रह को नहीं टाल सके और आप जी संगत के साथ मदर गाँव पहुँच गये। स्थानीय जनता ने आप का भव्य स्वागत किया। आपके प्रवचनों के लिए आप को एक मंच पर स्थान दिया गया।

गुरूदेव जी ने समस्त जिज्ञासुओं को सम्बोधन करते हुए कहा – हमारा मूल लक्ष्य इस मानव चोले (शरीर) को सफल करना है। इसके लिए हमारे पास एक सर्वश्रेष्ठ युक्ति है कि हम सभी घर-गृहस्थ में रहते हुए केवल अपने मन को प्रभु चरणों में जोड़े रखें अर्थात हमें अपनी सुरती सदैव निराकार परब्रह्म परमेश्वर के संग जोड़े रहना है और समस्त गृहस्थ के कार्य निर्विघ्न करते रहना है। इसके लिए हमें किसी भी प्रकार का आडम्बर रचने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ेगी और आपने फरमाया –

नानक सतिगुरि भेटिए पूरी होवै जुगति॥ हसंदिआ खेलंदिआ पैन्नदिआ खांवदिआ विचे होवै मुकति॥

वार गुजारी, महला 5वां पृष्ठ 522 यथा

उदमु करेदिआ जीउ तूं कमावदिआ सुख भुंचु ॥ धिआइदिआ तूं प्रभू मिलु नानक उतरी चिंत ॥१॥

वार गूजरी, महला 5 वा पृष्ठ 523

आप जी द्वारा दर्शाया गया जीवन मुक्ति मार्ग सहज था इसलिए सभी वर्गों के श्रोताओं के मन को भा गया क्योंकि आम समाज में इस के विपरीत मान्यताएं प्रचलित थी कि साँसारिक कार – व्यवहार में मन प्रभु चरणों में स्थिर हो नहीं सकता।

भाई गुंदारा जी बहुत ऊँची आत्मिक अवस्था वाले व्यक्ति थे। उन्होंने गुरूदेव जी के अतिथि सत्कार में कोई कोर-कसर नहीं रहने दी। उनके गले पर हजीर रोग के कारण गाँठे बनी हुई थी। उन्हें इस रोग के कारण दर्द भी रहता था किन्तु वह निष्काम सेवा भाव में जुटे रहते थे। उनके परिवार के सदस्यों ने उन से कहा – आप गुरूदेव से देह अरोग्य होने के लिए याचना करे। किन्तु भाई जी बहुत त्यागी किस्म के व्यक्ति थे। उनका मानना था कि इस देह के लिए स्वस्थ होने की याचना क्यों करूँ जब कि मैं जानता हूँ कि यह नश्वर है। यदि मैंने गुरूदेव जी से कुछ याचना की भी तो आध्यात्मिक दुनिया की कोई अनमोल वस्तु की चाहना करेंगे, जिस की प्राप्ति पर फिर आवागमन का चक्र समाप्त हो जाए अथवा फिर पुनः जन्म न हो। गुरूदेव जी ने उनका रोग भी देखा और निष्काम सेवा भक्ति भाव भी, अतः उन्होंने अपने प्रिय शिष्य के लोक-परलोक दोनों सँवार दिये। भाई जी का हजीर रोग भी ठीक हो गया।

श्री गुरूदेव जी को जम्बर गांव की संगत अपने यहाँ ले गई। वहाँ के नागरिकों की समस्याएं देखकर वहाँ आप जी ने एक नि:शल्क दवाखाना की आधारशिला रखी। वहाँ पर पेयजल की भी बहुत कमी थी, स्थानीय कुओं का जल खारा था। अत: आपने एक विशेष स्थान चुनकर समस्त संगत के साथ मिलकर प्रभु चरणों में प्रार्थना की और नया कुआं खुदवाना प्रारम्भ किया। प्रभु कृपा से इस नये कुएं का जल मीठा निकला, जिस से स्थानीय लोगों की साध पूर्ण हो गई। इसी गाँव में एक साहूकार रहता था, इसे कूकर्मों के कारण कुष्ठ रोग हो गया था। उस साहूकार संतू के परिजन आप के समक्ष प्रार्थना लेकर उपस्थित हुए कि कृपया आप संतू शाह के रोग का निवारण करें। गुरूदेव जी ने सब को सांत्वना दी और कहा – उसे हमारे द्वारा बनाये गए कुष्ठ रोगी आश्रम, तरनतारन ले जाएं वहीं इसकी उचित देखभाल तथा उपचार ठीक रहेगा।

जैसे ही समाचार फैला कि जम्बर गाँव वालों को मीठे जल का स्रोत मिल गया है तो पड़ौसी गांव चूणिया के निवासी भी बहुत बड़ी आशा लेकर गुरू दरबार में हाजिर हुए और विनती करने लगे, हे गुरूदेव ! हमारा भी कष्ट निवारण करें। हमारे गाँव में भी पेय जल की सदैव कमी बनी रहती है। दयालु दया के सागर गुरूदेव उन पीड़ितों को राहत देने उनके गाँव पहुँचे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *