भीखण शाह ने दर्शन किये - Bhikhan Shah Ne Darshan Kiye

भीखण शाह ने दर्शन किये (Shri Guru Gobind Singh Ji)

करनाल के समीप सिआणा गाँव में एक मुसलमान संत फकीर भीखण शाह रहता था। उसने परमात्मा की इतनी भक्ति तथा निष्काम तपस्या की थी कि वह स्वयं परमात्मा का रूप लगने लगा था। पटना में जब गुरु गोबिंद सिंघ जी का जन्म हुआ उस समय भीखण शाह अपने गाँव में समाधि लगा कर बैठा हुआ था। उसी अवस्था में उसे प्रकाश की एक किरण दिखाई दी जिसमें उसने एक नए जन्मे बालक का बिंब भी देखा। वह समझ गया कि दुनिया में कोई परमात्मा का प्रिय पीर अवतरित हुआ है।

यह प्रकाश की किरण उसने अपने देश के पूर्व दिशा में देखी। उसने जो स्थान गंगा के किनारे देखा वह पटना ही था। सूफी भीखण शाह ने परमात्मा के इस नूर के दर्शन करने का मन में निर्णय लिया। अपने डेरे का प्रबन्ध अपने साथियों को सौंप कर तथा अपने कुछ आत्मीय जनों को साथ लेकर वह पूर्व दिशा की ओर चल पड़ा। सैंकड़ों मीलों की यात्रा पैदल करते हुए वह अन्ततः पटना पहुँच गया। वहाँ जाकर उसने पता लगवाया कि किस महापुरुष के परिवार में बालक ने जन्म लिया है। पूरा पटना गुरु के घर को जानता था। इसलिए भीखण शाह को घर ढूंढने में समय नहीं लगा।

द्वार पर पहुँच कर जब उसने बालक के दर्शन करने की इच्छा प्रकट की तो मामा कृपाल चंद बालक को बड़े प्यार से उठा कर बाहर ले आये। दर्शन करने के लिए और संगत भी आई हुई थी। भीखण शाह ने माथा टेका तथा जो वस्तुएँ भेंट देने के लिए वह लाया था, वे आगे रखीं। वह परखने के लिए दो कुल्हड़ (मिटटी के बर्तन) भी लाया था। उनमें भी कुछ वस्तुएँ थीं। दोनों हाथों में कुल्हड़ पकड़ कर उसने आगे किए। पूरी संगत तथा भीखण शाह के शिष्य हैरान हो गये। जब कुछ महीनों के बालक गोबिंद राय ने अपने छोटे-छोटे हाथ आगे बढ़ा कर उन दोनों कुल्हड़ों पर रख दिये। भीखण शाह फिर से बालक के चरणों पर गिर पड़ा तथा दोनों कुल्हड़ लेकर बाहर आ गया।

भीखण शाह के शिष्यों तथा पूरी संगत ने उससे कुल्हड़ों के रहस्य के सम्बन्ध में पूछा तो उसने बताया कि जब उसे परमात्मा के नूर के प्रकट होने का ज्ञान हुआ था तो उस समय उसे लगा था कि वह किसी एक पक्ष का समर्थन करेगा तथा दूसरे का नाश करेगा। मैंने सोचा कि वह हिन्दुओं का साथ देगा या मुसलमानों का। इसी प्रश्न को लेकर मैंने विशेष रूप से ये दो कुल्हड़ तैयार करवाये थे तथा उन्हें बालक के आगे रखा। परमात्मा की इस ज्याति ने दोनों पर हाथ रख कर मेरे प्रश्न का उत्तर दे दिया कि मैं दोनों की रक्षा करूंगा। मैं समझ गया कि यह बालक अन्याय तथा अत्याचार का सामना करेगा तथा उसे नष्ट करेगा। अधिकार, न्याय तथा सत्य पर डटे रहने वाले हिन्दुओं तथा मुसलमानों का साथी बनेगा। उनका नेतृत्व करेगा।

कुछ दिनों में ही इस घटना की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी तथा सैंकड़ों मीलों से लोग इस अद्भुत बालक के दर्शनों के लिए आने लगे।

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